इंदौर। आकाश धोलपुरे
मध्यप्रदेश सरकार को सबसे अधिक राजस्व उपलब्ध कराने वाली इंदौर नगर निगम की व्यय की एक मद पर सवाल उठ खड़े हुए है। दरअसल, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इंदौर नगर निगम के बजट में एक ऐसी मद का प्रावधान करीब 7 साल से जिसके बारे में न तो पक्ष को अब तक होंश था और ना ही विपक्ष को। मामले के उजागर होने के बाद अब सवाल उठ रहे है हर साल बजट में 25 लाख के प्रावधान वाली राशि आखिर किसी जादुई चमत्कार के बीच छिपी रही। दरअसल, एक खबर के जरिये खुलासा करने वाले इंदौर के मीडियाकर्मी ललित मोरवाल ने बताया कि बजट की एक ऐसी मद में 25 लाख प्रतिवर्ष का प्रावधान है बावजूद इसके इस मद से आम जनता की भलाई के एक रुपये तक का हिसाब नही मिल पाया है।
जानकारी के मुताबिक शहर में तकरीबन 8 साल पहले तत्कालीन निगम महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने लगातार कुत्तों के काटने की बढ़ती शिकायत और उसके डॉग बाइटिंग से आहत गरीबो की मुश्किलों को कम करने के लिए निगम के वार्षिक बजट में 25 लाख रुपए का प्रावधान किया था जिसके तहत डॉग बाइट से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए कम से कम 500 रुपए तो गम्भीर अवस्था मे इलाज के लिये 20 हजार रुपए का प्रावधान किया था। वही डॉग बाइट के कारण मौत होने के बाद मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपए तक देने के लिये फंड बनाया था। इसके बाद बात ये सामने आई है कि अब तक इस फंड में से न तो किसी का ईलाज हुआ और ना ही फंड की राशि का कभी जिक्र हुआ। इतना ही नही हद तो तब हो गई जब निकलकर ये बात सामने आई कि जनता की सेवा का दावा करने वाले जनप्रतिनिधियों को हो इस बात का होंश नही है। ना तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने किसी बजट बहस में इस मुद्दे पर सवाल उठाए और ना ही निगम पर काबिज बीजेपी के निगम परिषद को इस बात की जानकारी थी। ऐसे में सवाल ये उठ रहे है कि आखिर 25 लाख रुपए हर वर्ष कहा छुमंतर हो जाते है इस बात से तो वर्तमान निगम आयुक्त भी अनभिज्ञ है। ऐसे में अब डॉग बाइट का ये खुलासा किन किन को जख्म देगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन एक आंकलन के मुताबिक फंड की राशि अब तक 1 करोड़ 75 लाख रुपये हो चुकी है जिसका फिलहाल कोई अता पता नही है।