भोपाल, डेस्क रिपोर्ट | मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम विष्णु के सातवें अवतार हैं, जिन्होंने त्रेता युग में जन्म लिया था। भगवान राम ने यह अवतार इसलिए लिया था ताकि धरती पर दुराचार फैला रहे अंहकारी रावण का संहार किया जा सके। रावण ने कठोर तप करके खुद को अधिक बलशाली कर लिया था, जिसके वध के लिए भगवान ने धरती पर राम का अवतार लिया। इस अवतार में भगवान 14 साल के वनवास पर थे। इस दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जिन 17 जगहों पर रुके थे, उन जगहों का पता लगाया जा चुका है। जल्द-ही केंद्र सरकार उन सभी जगहों पर कॉरिडोर बनाने की तैयारी कर रही है, तो आइए जानते हैं उन 17 जगहों के बारे में जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ठहरे थे…
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तमसा नदी: यह नदी भगवान राम के अवतार से प्रमुख माना जाता है। बता दे भगवान राम ने नाव से इसे पार की थी जो कि आयोध्या से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से उन्होंने अपने वनवाल काल की शुरूआत की थी।
चित्रकूट: यह भगवान राम के ठहराव स्थान में से सबसे प्रमुख स्थान माना जाता है। यह शहर मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां पर भरत, श्रीराम से मिलने आए थे और उन्हें वापस अयोध्या चलने को कहा था। इस दौरान माता कौशल्या भी भरत के साथ राम से मिलने आईं थी। यहां पर ही श्री राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था।
श्रृंगवेरपुर तीर्थ: यहां भगवान राम ने केवट से गंगा पार करवाने को कहा था, जिसका उल्लेख रामायण में भी किया गया है।
कुरई: गंगा पार करने के बाद श्री राम ने इसी स्थान पर अपनी पत्नी और भाई के विश्राम किया था।
प्रयाग: गंगा पार करने के बाद श्री राम ने इसी स्थान पर अपनी पत्नी और भाई के विश्राम किया था। इसके बाद वो कुरई से प्रयाग पहुंचे थे, जहां वो कुछ दिन पहुंचे थे।
सतना: भगवान राम अपने वनवास काल के दौरान मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों को अपने शुभ चरणों से पावन कर चुके हैं, जिसमें सतना का नाम भी शामिल है। दरअसल, भगवान राम यहां पर अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंचे थे, जहां कुछ समय बिताए थे।
दंडकारण्य: 14 साल के वनवास के दौरान जब श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे तो वहां वो 10 साल थे।
पंचवटी नासिक: 14 साल के वनवास के दौरान यहां पर रुके थे, जहां पर लक्ष्मण जी ने दशानन रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी। जिसके बाद ही रावण के ऊपर मौत का आसमान छा गया था।
सर्वतीर्थ: अपने 14 साल के वनवास के दौरान वो नासिक के सर्वतीर्थ पहुंचे थे, जहां से रावण ने माता सीता का हरण किया था।
पर्णशाला: 14 साल के वनवास माता सीता के हरण के बाद भगवान राम उन्हें ढुंढते हुए आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित पर्णशाला पहुंचे थे।
तुंगभद्रा: सीता हरण के बाद राम जी भईया लक्ष्मण के साथ तुंगभद्रा के अनेक स्थलों गए थे।
शबरी आश्रम: लंका जाने से पहले रास्ते में श्रीराम शबरी आश्रम गए थे, जहां उन्होंने जुझे बैर खाएं थे लेकिन लक्ष्मण ने इसका सेवन नहीं किया था।
ऋष्यमूक पर्वत– अपनी पत्नी की खोज करते हुए श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे थे, जहां उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई थी।
कोडीकरई– दक्षिण भारत में स्थित कोडीकरई से होते हुए राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ धावा बोला था।
रामेश्वरम– बता दे यह जगह काफी महत्तवपूर्ण जगहों में से एक माना जाता है। यहां भगवान राम ने रावण वध से पहले शिव जी की पूजा कर वहां शिवलिंग की स्थापना की थी।
धनुषकोडी से रामसेतु- यहां भगवान श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे थे, जहां से रामसेतू का निर्माण किया गया था और लंका जाने का मार्ग तैयार किया गया था।
नुवारा एलिया पर्वत– जब श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंच गए तब वहां युद्ध प्रारंभ करने से पहले श्रीलंका में नुवारा एलिया पर्वत पर ही रुके थे, जहां पर रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं।
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