सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया जा रहा है। दरअसल कोर्ट ने कहा है कि एक्सिक्यूटिव को कोई अधिकार नहीं है कि केवल आरोप के आधार पर आरोपी के घर को ध्वस्त कर दें। दरअसल जस्टिस गवई ने इसपर बोलते हुए कहा है कि शक्तियों के गलत इस्तेमाल को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। यदि ऐसा किया गया तो इससे अराजकता बढ़ जाएगी।
दरअसल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीखा रुख अपनाते हुए अफसर की क्लास लगाई। कोर्ट ने कहा कि अफसर जज नहीं बन सकते। अफसर या तय नहीं कर सकते है कि दोषी कौन है। दरअसल कोर्ट ने तीखे शब्दों में कहा कि ताकत के गलत इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगी रहेगी
बुधवार को बुलडोजर एक्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कई बड़ी बातें कही। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में 1 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुलडोजर मामले में कोर्ट ने उस समय रोक को जारी रखा था। दरअसल कोर्ट ने कहा था कि फैसला न आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगी रहेगी। दरअसल जस्टिस गवई ने कहा है कि- “लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना होगी।”
पिछली सुनवाई में क्या हुआ था?
दरअसल इस मामले में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ दलीलें रखी गई थीं। यह दलीलें इन राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखी थी। इस मामले की पिछली सुनवाई में दलीलें दी गई थी कि बुलडोजर एक्शन के दौरान समुदाय विशेष को निशाना बनाया जा रहा है। हालांकि इसपर कोर्ट ने साफ किया था कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। ऐसे में इस देश में जो भी गाइडलाइन बनाई जाएगी, वो सभी के लिए हितकारी होगी।