भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना की दूसरी लहर (corona second wave) बीत जाने के बाद अब प्रदेश में नगरीय निकाय चुनावों (urban body elections) को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कांग्रेस (congress) और BJP दोनों ही पार्टियों ने इस चुनावों के मद्देनजर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हालांकि अभी इन चुनावों की तिथि घोषित होने में कानूनी पेच है।
लगभग डेढ़ साल से टल रहे प्रदेश के 407 मे से 344 नगरीय निकाय चुनाव कब घोषित होगे, इसमें अभी संशय है। इन नगरीय निकायों में 16 नगर निगम भी शामिल है। दरअसल इन चुनावों को लेकर ग्वालियर में अधिवक्ता मनवर्धन सिंह तोमर ने एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें यह कहा गया था कि राज्य सरकार द्वारा नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायतों के लिए 10 व 11 दिसंबर 2020 को जारी आरक्षण अधिसूचना में रोटेशन का पालन नहीं किया गया है।
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याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि सरकार ने दो नगर निगम और 79 नगर पालिका व नगर पंचायतों को अनुसूचित जाति जाति के लिए आरक्षित किया है लेकिन मुरैना व उज्जैन नगर निगम के महापौर का पद वर्ष 2014 में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित था और उसे इस बार भी इन्हीं सीटों के लिए आरक्षित रखा गया है। ऐसा ही अन्य नगर पालिका व नगर पंचायतों में किया गया है।
जिससे इन पदों पर अन्य वर्ग के लोग चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। इसमें बदलाव किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट के द्वारा याचिकाकर्ता के पक्ष में निर्णय देने के बाद राज्य सरकार ने इस विषय में सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। अब जब तक इस अपील का निराकरण नहीं हो जाता या राज्य सरकार दोबारा रोटेशन करने को तैयार नहीं हो जाती, फिलहाल चुनावों को लेकर संशय बना ही रहेगा। हालांकि अब इन नगरीय निकायों में नगर सरकार को भंग हुए लगभग पूरे 2 साल बीतने को जा रहे हैं और ऐसी स्थिति में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए चुनाव जरूरी है