भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इतिहास में पहली बार 28 विधानसभा सीटों (28 Vidhansabha Seat) पर एक साथ उपचुनाव (By-election) होने जा रहे हैं। प्रदेश में 3 नवंबर (November) को होने वाले इस उपचुनाव से यह तय हो जाएगा कि सत्ता में कौन सी पार्टी रहेगी। सत्ताधारी दल भाजपा सरकार (BJP Government) में बनी रहेगी अथवा कांग्रेस (Congress) को मौका मिलेगा।
इसके लिए मतों का गणित 10 नवंबर को होगा। उप-चुनाव के रण में मौजूदा सरकार (Shivraj Government) के एक दर्जन मंत्री समेत कुल 355 उम्मीदवार मैदान में है। उनकी राजनीतिक किस्मत का बटन 3 नवंबर को दबाया जाएगा। प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए आज रविवार को शाम 5:00 बजे प्रचार थम जाएगा। चुनाव में सुरक्षा के लिए चुनाव आयोग से 14 कंपनियां मध्य प्रदेश को मिली है। उसके अलावा जिला और होमगार्ड बल भी लगाया जाएगा
28 में से 27 सीटें कांग्रेस की थी
मध्यप्रदेश में जिन 28 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं उनमें से 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई है, जबकि 2 सीट कांग्रेस विधायक के निधन और 1 सीट भाजपा विधायक के निधन से रिक्त हुई है। भाजपा ने 25 सीटों पर उन कांग्रेस के पुराने नेताओं को उम्मीदवार बनाया है जो कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में आए थे। मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों के त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। लिहाजा तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ को 20 मार्च को इस्तीफा देना पड़ा था। उसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
बीजेपी के 107 तो कांग्रेस के पास 88 विधायक
भाजपा के सत्ता में आने के बाद और चार विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए हैं, उसमें से 3 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 230 सीटों पर वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 88 विधायक है। चार निर्दलीय दो BSP एवं एक सपा के विधायक हैं। भाजपा को बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचाने के लिए उपचुनाव में मात्र 9 सीटों की दरकार है। जबकि कांग्रेस को 28 सीटों की जरूरत है। बतादें, जिन 28 सीटों पर इस समय उप-चुनाव होने है उनमें से 27 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था और सिर्फ एक सीट पर BJP थी।