नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। एनईएफटी और आरटीजीएस (RTGS-NEFT) मनी ट्रांसफर करने के लिए सबसे आसान और सुविधाजनक तरीकों में से एक है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इन प्रोसेस को लेकर भी कई नियम बना रखें। देश में कई लोग पैसे ट्रांसफ़र करने के लिए इन्ही तरीकों का इस्तेमाल करती है। लेकिन सभी इसके जरिए पैसे ट्रांसफ़र के दौरान भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और देर भी हो जाती है। हालांकि आजकल ऑनलाइन लेन-देन का समय आ गया है।
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ग्राहक पैसे ट्रांसफर करने लिए फोन पे, गूगल पे और पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के लिए IMPS प्रोसेस का इस्तेमाल किया जाता है। RTGS और NEFT के प्रोसेस में पैसा अटकने पर आरबीआई बैंकों को एक निर्धारित समय सीमा के अंदर सेटलमेंट करना पड़ता है। लेकिन यदि ऐसा ना हो तो बैंकों पर आरबीआई जुर्माना लगाता है। आइए जानें RTGS और NEFT से जुड़े नियमों के बारे में।
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RBI के मुताबिक RTGS एक रियल टाइम ट्रांसफर होता है। यदि कोई यूजर मनी ट्रांसफर करता है उनकी पूरी प्रक्रिया 1 घंटे के अंदर पूरा होना जरूरी होता है। इस घंटे में यदि पैसे ट्रांसफर नहीं हो पाते तो बैंक को ग्राहक के अकाउंट में पैसा रिटर्न करना पड़ता है। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो बैंक को ग्राहकों को जुर्माना देना होता है। वहीं NEFT के लिए निर्धारित समय सीमा 2 घंटे की होती है। यदि इन 2 घंटों में पैसे ट्रांसफर नहीं होते है या सेटलमेंट नहीं होता है तो बैंक को ग्राहकों के लिए जुर्माना भरना पड़ता है।
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जुर्माना कितना लगेगा यह पूरा मामला रेपो रेट पर निर्भर करता है। आरबीआई के नियमों के मुताबिक सेटलमेंट ना करने पर बैंकों को रेपो रेट के हिसाब से जुर्माना भरना पड़ता है। साथ ही 2% का ब्याज भी देना पड़ता है। बता दें की अभी रेपो रेट 4.90% है, इसलिए बैंक को 2% का ब्याज चुकाना पड़ेगा। इसके लिए ग्राहकों को बैंक जाकर, हेल्प लाइन और मेल के जरिए कर सकते हैं।