Spykar Success Story : कहते हैं सफलता यूं ही हाथ नहीं लगती, बल्कि इसके लिए इंसान को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। अगर मन में दृढ़ निश्चय और ईमानदारी से काम करने की निष्ठा हो, तो कोई भी काम असफल नहीं होता ,बल्कि पूरी कायनात भी इसे सक्सेस दिलाने में लग जाती है। विरासत में मिली सफलता तो खुशी देती ही है, लेकिन अगर यह सफलता खुद की मेहनत से कमाई जाए, तो यह अलग तरीके का सुख होता है। वैसे भी आजकल के युवा नौकरी के पीछे ना भाग कर खुद का बेचने से स्टार्टअप करने पर ज्यादा गौर फरमा रहे हैं।
उधारी से शुरू हुआ कारोबार
ऐसी ही एक स्टोरी आप हम आपको बताने जा रहे हैं। दरअसल, 1 लाख की उधारी से शुरू हुआ उनका कारोबार पहले साल में दस लाख रुपए के घाटे में चला गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने अनुभवों से सीखा और बाजार की आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझने पर जोर दिया। घाटे का सामना करने के बाद प्रसाद पबरेकर ने अपने पुराने अनुभवों को इकट्ठा किया और उन्हें अपने नए प्रयासों में लागू किया। प्रसाद ने यह समझा कि उनके जीन्स के ट्रायल मेनिक्विन्स पर नहीं बल्कि वास्तविक इंसानों पर किए जाने चाहिए। यह कदम ग्राहकों की जरूरतों और आराम के स्तर को बेहतर समझने में सहायक सिद्ध हुआ। उनके तकनीकी ज्ञान ने उन्हें प्रोडक्ट की गुणवत्ता और डिज़ाइन को सुधार करने में मदद की। साथ ही, कैजुअल वियर सेगमेंट में उन्होंने कई नए प्रयोग किए।
2014 में आया नया मोड़
स्पायकर ब्रांड ने अपने विकास की यात्रा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जब 2014 में यह बगरी परिवार के मेटडिस्ट ग्रुप का हिस्सा बन गया। बता दें कि भारत में स्पायकर के 240 से अधिक एक्सक्लूसिव आउटलेट्स हैं। इसके अलावा, 1400 से ज्यादा मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स में भी स्पायकर के उत्पाद उपलब्ध हैं। स्पायकर की प्रोडक्ट रेंज में कैजुअल टॉपवियर, बॉटमवियर, बैकपैक्स, फ्लिप-फ्लॉप्स, परफ्यूम्स, और वॉलेट जैसी अनेक एक्सेसरीज शामिल हैं।
इंजीनियरिंग की डिग्री की हासिल
प्रसाद पबरेकर के पास इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री थी। उन्होंने कॉलेज खत्म करते ही ऑडियो कैसेट असेंब्लिंग यूनिट शुरू की। हालांकि, यह व्यवसाय लंबे समय तक नहीं चला। परिस्थितियों ने उन्हें उनके पिता के ड्राई क्लीनिंग व्यवसाय में शामिल होने पर मजबूर किया। इस व्यवसाय में काम करने से उन्हें कपड़ों की प्रोसेसिंग और उपभोक्ताओं की जरूरतों के बारे में जानकारी मिली।