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Wed, Dec 17, 2025

सिर्फ 5 लाख रुपये की पूंजी लगाकर बनाई 7 हजार करोड़ की कंपनी, पढ़ें रेडबस के संस्थापक फणींद्र सामा की Success Story

Written by:Sanjucta Pandit
Published:
सिर्फ 5 लाख रुपये की पूंजी लगाकर बनाई 7 हजार करोड़ की कंपनी, पढ़ें रेडबस के संस्थापक फणींद्र सामा की Success Story

Success Story of Phanindra Sama : इन दिनों लोग नौकरी के पीछे ज्यादा ध्यान न देकर खुद का बिजनेस स्टार्टअप करने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। इसके लिए शार्क टैंक जैसा रियलिटी शो भी चलाया जा रहा है। जिसके माध्यम से नया बिजनेस स्टार्ट करने वाले लोगों की हेल्प की जाती है। इससे उन्हें बड़ा सपोर्ट मिल रहा है। इसके अलावा, हर दिन हमें कोई ना कोई ऐसी स्टोरी सुनने को मिलती है जो काफी संघर्षों से भरी होती है। ऐसा ही एक जज्बा फणींद्र सामा के अंदर देखने को मिला जोकि वर्तमान में देश के जाने-माने उद्यमियों में शामिल है। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको उनकी दिलचस्प सक्सेस स्टोरी बताएंगे…

इस तरह आया ख्याल

दरअसल, फणींद्र सामा रेडबस के फाउंडर है जोकि भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन बस टिकटिंग कंपनी है। इस बिजनेस को स्टार्ट करने के लिए उन्होंने मात्र 5 लाख रुपये की पूंजी डाली थी और वर्तमान में इस कंपनी का टर्नओवर 7,000 करोड रुपए से भी अधिक है। इस बिजनेस का ख्याल उनके मन में तब आया, जब वह लंबे समय तक बस की टिकट के लिए लाइन में खड़े रहे। इसके बावजूद, वह टिकट नहीं बुक कर पाए। उन दिनों त्यौहार का सीजन था। इस दौरान बाहर रहने वाला हर इंसान अपने घर जाना चाहता है। ऐसे में उन्हें बहुत तकलीफ हुई, तभी उनके दिमाग में एक आइडिया आया कि क्यों ना इस समस्या को हल किया जाए और उन्होंने इस ऐप की शुरुआत की।

देश की सबसे बड़ी कंपनी

धीरे-धीरे यह कंपनी देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई। इससे अब तक लाखों ग्राहक जुड़ चुके हैं और इसका लाभ घर बैठे उठा रहे हैं। बता दें कि यह कंपनी तेजी से विकास कर रहा है। साल 2007 में रेडबस को 1 मिलियन डॉलर की पहली फंडिंग मिली थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2013 में रेडबस को दक्षिण अफ्रीका के नैस्पर्स और चीन के टेनसेंट के ज्वाइंट वेंचर, इबिबो ग्रुप ने अधिग्रहित कर लिया था। बता दें कि यह इंडियन स्टार्टअप इंडस्ट्री के सबसे बड़ा और पहला विदेशी सौदा था।

यहां से की पढ़ाई

करियर की शुरुआत में फणींद्र सामा ने तेलंगाना के के इन्नोवेट ऑफिसर के रूप में काम किया था। उन्होंने अपनी पढ़ाई बिरला इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से पूरी की थी, जहां उनकी मुलाकात सुधाकर पसुपुनुरी और चरण पद्माराजू से हुई। जिन्होंने साथ मिलकर इस बिजनेस को शुरू करने का फैसला लिया था।