देशभर के सभी बैंकों को रेगुलेट करने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की है। जब भी कोई बैंक दिशा निर्देशों का अनुपालन करने में विफल होता है, तो आरबीआई उनके खिलाफ सख्त कदम उठाता है। जिसमें मौद्रिक जमाने से लेकर लाइसेंस के कैंसिलेशन जैसी कार्रवाई भी शामिल है। दिसंबर में अब तक 6 बैंकों पर मॉनिटरी पेनल्टी लग चुकी है। इस सूची में एक तमिलनाडु एक सहकारी बैंक भी शामिल हो चुका है। इस एक्शन की जानकारी केंद्रीय बैंक ने 15 दिसंबर सोमवार को दी है।
10 दिसंबर को जारी आदेश के तहत आरबीआई ने द कोविलपट्टी को-ऑपरेटिव अर्बन बैंक लिमिटेड पर पूंजी पर्याप्त पर विवेकपूर्ण मानदंड-प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक पर जारी दिशा निर्देशों का अनुपालन न करने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह कदम केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग अधिनियम 1949 के अलग-अलग प्रावधानों के तहत उठाया है।
पेनल्टी से पहले जारी किया गया था नोटिस
31 मार्च को आरबीआई ने बैंक के फाइनेंशियल स्टेटस को चेक करने के लिए एक निरीक्षण किया था। इस दौरान यह खुलासा हुआ कि बैंक कुछ नियमों का सही से पालन नहीं कर रहा है। जांच की रिपोर्ट देखते हुए बैंक को एक कारण बताओं नोटिस जारी किया गया। नोटिस पर आए जवाब और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान दी गई मौखिक प्रस्तुतियों के आधार पर आरोप सही पाए गए। इसके बाद पेनल्टी लगाने का फैसला लिया।
बैंक ने तोड़े ये नियम
बैंक ने अपने सदस्यों को शेयर पूंजी की वापसी की अनुमति दी थी। शेयर लिंकिंग टू बौरोइंग मानदंडों का अनुपालन भी नहीं किया और कुछ लोन स्वीकृत कर दिए। जबकि उसका सीआरएआर नियामक न्यूनतम से कम था।
आरबीआई ने बताया कि यह पूरी तरीके से विनियामक अनुपालन में खामियों पर आधारित है। इसका मकसद बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या एग्रीमेंट के समझौते की वैधता पर असर डालना नहीं है। भविष्य में बैंक के खिलाफ की जाने वाली किसी भी अन्य कार्रवाई पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।
यहाँ देखें आरबीआई का नोटिस




