RJ Raghav’s Success Story : ऐसा कहा जाता है कि दूसरों को हंसाने वाले अक्सर खुद मुस्कुराने की वजह ढूंढ़ते हैं। यकीनन ये सिर्फ एक कलाकार ही कर सकता है। अपने किरदार और व्यंग्य शैली से दूसरों को हंसाना एक कला भी है और पुण्य भी, लेकिन जरा सोचिए! हुनर की चाशनी में दिलकश आवाज की भी थोड़ी सी मिठास घुल जाए तो वह व्यक्ति प्रतिभाओं का कितना धनी होगा। ऐसे व्यक्तित्व के धनी कलाकार न केवल लोगों का मनोरंजन करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन की कठिनाइयों से दूर ले जाते हैं, उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेरते हैं। उनके पास न केवल हास्य की ताकत होती है, बल्कि दिलकश आवाज और शानदार प्रस्तुति से वह अपनी पहचान को और भी मजबूत बना लेते हैं। तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको ऐसी सक्सेस स्टोरी बताने वाले हैं, जिसने अपने क्रिएटिव कंटेंट्स सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। देखते ही देखते उनके फॉलोअर्स में काफी ज्यादा वृद्धि हुई।
मचाया तहलका
दरअसल, आज हम आपको रेडियो जॉकी राघव की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं। रेडियो सिटी कानपुर के आरजे राघव द्विवेदी के वीडियो इंटरनेट मीडिया पर खूब तहलका मचा रहे हैं। उनकी दिलकश आवाज और लाजवाब प्रस्तुति श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती है। राघव की प्रतिभा और उनके वीडियो की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, जिससे वह सोशल मीडिया पर भी छा गए हैं। उनके हिट गीतों पर अभिनय और लिप सिंक (Lip Sync) के वीडियो युवाओं के बीच बहुत पसंद किए जा रहे हैं।
घरवालों का रहा आर्शिवाद
बता दें कि इटावा के निवाड़ी कला निवासी राघव के पिता साल 2009 में गुमशुदा हो गए थे। उस समय राघव अपनी मां सुषमा और बहन सोनाली के साथ ग्वालियर में रहते थे। पिता के बाद घर की जिम्मेदारी राघव के कंधों पर आ गई। बचपन से रेडियो सुनने के शौक के चलते उन्होंने आरजे बनने की ठान ली। इसके लिए वह बहुत ज्यादा मेहनत करते थे और ग्वालियर में ही उन्होंने एक रेडियो स्टेशन में काम करना शुरू किया। साल 2014 में राघव ग्वालियर से कानपुर आए और 2016 में रेडियो सिटी से जुड़ गए। आज हर कोई RJ राघव को बहुत अच्छे से जानता है। दरअसल, कोविड काल के दौरान उनके कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई। बता दें कि वह फिल्मी गाना में इस कदर झूमते नजर आए कि उनका यह अंदाज लोगों को काफी ज्यादा पसंद आया। इस तरह वह पूरी तरह से छा गए और आज वह सक्सेसफुल आरजे बन चुके हैं।
चलाया ये अभियान
RJ राघव केवल स्टूडियो तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि साल 2019 में उन्होंने अपनी ऑफिस टीम के साथ मिलकर शहर में हादसों को दावत दे रहे गड्ढा को “गड्ढा पहलवान” का नाम दिया। इस अभियान के जरिए उन्होंने समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश दिया। साथ ही लोगों का इस और ध्यान आकर्षित किया। इससे एक बात तो साफ हो जाती है कि वह एक सक्सेसफुल आरजे होने के साथ-साथ एक जिम्मेदार नागरिक भी हैं।