New Tax Regime: वित्त वर्ष 2023-25 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई थी। इस दौरान करीब 7.28 करोड़ लोगों ने ITR दाखिल किया, जो एक नया रिकॉर्ड है। दरअसल यह संख्या पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के 6.77 करोड़ ITR से 7.5 प्रतिशत अधिक है। वहीं वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 5.27 करोड़ (72 प्रतिशत) लोगों ने अपने रिटर्न नए टैक्स रिजीम के तहत भरे हैं। जबकि यह स्थिति स्मॉल सेविंग्स स्कीम के लिए चिंता का विषय बन रही है, क्योंकि नए टैक्स रिजीम में ज्यादातर लोग कटौती का लाभ नहीं उठा रहे हैं।
नए टैक्स रिजीम में युवाओं की बढ़ती रुचि और स्मॉल सेविंग्स स्कीम से दूरी
दरअसल जैसे ही नया टैक्स सिस्टम लोकप्रिय हो रहा है, कई प्रमुख सेविंग स्कीम्स के कलेक्शन और सब्सक्राइबर संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है। अगर हम नए टैक्स सिस्टम की बात करें तो इसके तहत डिडक्शन नहीं मिलने के कारण युवा इन स्कीम्स से दूर होते जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, नए टैक्स सिस्टम के चलते स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में निवेश में कमी आई है।
वहीं पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) जैसी योजनाएं अब धीरे-धीरे कमजोर होती हुई दिखाई दे रही हैं।
दरअसल बिजनेस स्टैंडर्ड को एक अधिकारी ने जानकारी दी कि ‘अब लोग पारंपरिक सेविंग स्कीम्स की बजाय इक्विटी में निवेश करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। गौरतलब है कि, ये स्कीम्स अब भी उच्च ब्याज दर और सुरक्षित रिटर्न प्रदान करती हैं, लेकिन इनके ब्याज की तिमाही समीक्षा होती है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट सिर्फ पुराने टैक्स रिजीम में उपलब्ध है।’
दरअसल 2022 तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में पीपीएफ में जमा राशि 5,487.43 करोड़ रुपये थी, जो 134 प्रतिशत बढ़कर 2021-22 में 12,846 करोड़ रुपये हो गई है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो, सरकार को अंदेशा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में स्मॉल सेविंग्स स्कीम में निवेश कम होगा।