RBI की बड़ी कार्रवाई, इस बैंक पर ठोका भारी जुर्माना, 4 फाइनेंस कंपनियों पर लगाया प्रतिबंध, ये है वजह, पढ़ें पूरी खबर

आरबीआई के 4 फाइनेंस कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। 21 अक्टूबर से लोन मंजूरी सेवाओं को बंद करने का आदेश जारी किया है।

Manisha Kumari Pandey
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RBI Action: भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। लोन मंजूरी और संवितरण सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया है। 21 अक्टूबर से कारोबार बंद करने का आदेश जारी किया है। वहीं एक बैंक पर भारी जुर्माना लगाया है । जांच के दौरान पाया गया है बैंक और कंपनियां कुछ नियमों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं।

आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड (चेन्नई), आरोहण फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (कोलकाता), डीएमआई फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड (नई दिल्ली) और नवी फिनसर्व लिमिटेड (बेंगलुरू) पर आरबीआई ने बैन लगाया है। वहीं आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

बैंक ने किया था इन नियमों का उल्लंघन (RBI Monetary Penalty) 

आंध्र प्रदेश में स्थित आंध्र प्रगति ग्रामीण बैंक आईआरएसी मानदंडों के अनुसार कुछ लोन अकाउंट को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में वर्गीकृत करने में विफल रहा है। नाबार्ड द्वारा किए गए निरक्षण के दौरान में नियमों के अनुपालन में खामियों का पता चला। जिसके बाद आरबीआई ने बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। नोटिस पर आए जवाब और जांच के बाद जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया है।

NBFCs के खिलाफ आरबीआई ने क्यों उठाया सख्त कदम? (Reserve Bank Of India) 

कंपनियों के खिलाफ आरबीआई का यह एक्शन मूल्य निर्धारण नीति में उनके वेटेज एवरेज लेंडिंग रेट और उनके निधियों की लागत पर लगाए गए ब्याज प्रसार से संबंधित भौतिक पर्यवेक्षी चिताओं पर आधारित है। पिछले कुछ महीनो में केंद्रीय बैंक विभिन्न चैनलों के जरिए अपनी विनियमित संस्थाओं को अपनी विनियामक स्वतंत्रता का जिम्मेदारी से उपयोग करने और निष्पक्ष उचित और पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में जागरूक कर रहा है। छोटे मूल्य के लोन अधिक ध्यान दे रहा है।

जांच के दौरान ऑफसाइट एकत्र और विश्लेषण किए गए डाटा के अनुचित और सूदखोरी की प्रथाएं देखी गई। इसके माइक्रो फाइनेंस लोन से संबंधित घरेलू आय के आकलन और मौजूदा प्रस्तावित मासिक पुनर्भुगतान दायित्व पर विचार करने के लिए विनियामक दिशानिर्देशों का पालन भी कंपनियों ने नहीं किया। आय मान्यता और आय परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों के पालन में कमी गई। इसलिए चारों कंपनियों के लोन मंजूरी और संवितरण सेवाओं रोक लगाने का निर्णय लिया गया है। हालांकि कंपनियां ग्राहकों को सेवा प्रदान कर सकते हैं। साथ ही मौजूद विनियामक दिशानिर्देशों के अनुसार संग्रह और वसूली प्रक्रिया को पूरा भी कर सकते हैं।

 


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