Senior citizen को एफडी पर 9 से लेकर 9.50 फीसदी तक का ब्याज दे रहे ये बैंक, जानें पूरी डिटेल
यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक 1001 दिनों के एफडी पर आम लोगों को अधिकतम 9.00% और सीनियर सिटीजन को 9.50% का अधिकतम ब्याज ऑफर कर रहा है।
Senior citizen : आज के समय में ज्यादातर पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर बैंक 7 से 8.50 फीसदी तक का अधिकतम ब्याज एफडी पर ऑफर कर रहे हैं। कई स्मॉल फाइनेंस बैंक सीनियर सिटीजन को 9 फीसदी से 9.50 फीसदी तक का ब्याज FD पर दे रहे हैं। ऐसे में कई सीनियर सिटीजन ये सोचकर कन्फ्यूज हो रहे हैं कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए? एफडी पर 9 फीसदी का ब्याज निवेश के लिए सबको काफी आकर्षित करता है लेकिन इसके साथ कई तरह के जोखम भी होते हैं। ये जोखिम पब्लिक सेक्टर बैंक की एफडी में निवेश करने पर नहीं होते हैं। आइए जानते हैं कि सीनियर सिटीजन को किन बैंकों की एफडी में निवेश करना सही होगा।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) – SBI भारत का सबसे बड़ा बैंक है और इसकी एफडी में निवेश करना सुरक्षित और भरोसेमंद होता है। यह बैंक सबसे अधिक ब्याज भी देता है, जो अभी 5.4% से लेकर 6.20% तक है। इसके अलावा बैंक की एफडी अधिकतम सुरक्षा के साथ लंबे समय तक निवेश के लिए उपलब्ध होती है।
पंजाब नैशनल बैंक (Punjab National Bank) – PNB एक और सरकारी बैंक है जो वरिष्ठ नागरिकों को आकर्षित कर रहा है। बैंक ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष एफडी स्कीम शुरू किया है जिसमें ब्याज दर 6.5% से लेकर 6.8% तक होती है।
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अब जब रेपो रेट में एक बढ़ोतरी हुई है, तो फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा समझने में सही होगी। रेपो रेट की बढ़ोतरी से बैंकों को उचित मार्जिन दे सकने में मदद मिलेगी जो उन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की स्वतंत्रता देती है। इसलिए, बैंक द्वारा घोषित ब्याज दरों में बढ़ोतरी संभव है।
RBI ने बढ़ाया रेपो रेट
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के निर्देशों पर मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने फरवरी में रेपो रेट को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया। RBI मई से लेकर अब तक रेपो रेट में 2.50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर चुका है। रेपो रेट में बढ़ोतरी के बाद लगभग सभी बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है। आरबीआई को मई 2022 से लेकर अब तक रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी करनी पड़ी क्योंकि महंगाई को नियंत्रित करना था। बीते 10 महीनों में महंगाई दर आरबीआई के तय लेवल 6 फीसदी से अधिक चल रही थी जिसके कारण रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया।