नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश की आम जनता को महंगाई ने एक और बड़ा झटका दिया है। पिछले दिनों खुदरा महंगाई ने 17 महीने का रिकॉर्ड तोड़ने के बाद अब थोक महंगाई दर ने आसमान छू लिए है। सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में थोक मूल्य सूचकांक दर (WPI Inflation) बढ़कर 14.55 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई है। इससे पहले ये इस साल फरवरी में 13.11% पर थी।
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खाने-पीने के सामान, ईंधन और बिजली के दाम में इजाफा होने से थोक महंगाई मार्च में लगातार 12 महीनों से दोहरे अंकों में बना हुआ है। इसके साथ ही आपको बता दें कि मार्च महीने में थोक महंगाई का स्तर बीते चार महीने या नवंबर 2021 के बाद से सबसे अधिक है। वहीं खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर 8.47% से बढ़कर 8.71% हो गई है। इसी तरह आलू की महंगाई दर 14.78% से बढ़कर 24.62% हो गई है। अगर मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट की बात करें तो वह 9.84% से बढ़कर 10.71% हो गई है। वहीं फ्यूल एंड पावर WPI 31.5% से बढ़कर 34.52% हो गया। अगर प्राइमरी आर्टिकल WPI 13.39% से बढ़कर 15.54% हो गया। अंडा, मीट, मछली WPI 8.14% से बढ़कर 9.42% के स्तर पर पहुंच गया। फलों की WPI 10.3% से बढ़कर 10.62% के स्तर पर पहुंच गई। वहीं दूध की WPI 1.87% से बढ़कर 2.9% हो गई। सब्जियों की WPI 26.93% से घटकर 19.88% पर आ गई है। वहीं दालों की WPI 2.72% से घटकर 2.22% हो गई।
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आपको बता दें कि भारत में महंगाई को दो तरह से मापा जाता है। पहला है रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, दूसरी है थोक महंगाई, जिसे होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) कहते है इसका अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। गौरतलब है कि इन दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है।