नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। देश की आम जनता को थोक महंगाई ने एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। मई महीने में थोक मुद्रास्फीति दर (wpi inflation) ने फिर से 15 फीसदी के ऊपर का स्तर कायम रखा है और यह 15.88 फीसदी पर पहुंच गई। गौरतलब है कि अप्रैल महीने में यह 15.08 फीसदी पर रही थी।
गौरतलब है कि अप्रैल में 15 फीसदी के ऊपर जाते ही थोक महंगाई दर 9 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। वहीं, मंगलवार को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मई की थोक महंगाई दर साल 2012 के बाद से अब तक के उच्चतम स्तर पर है।
आपको बता दें कि खाद्य से लेकर जिंसों तक की कीमतों में बढ़ोतरी का है। इससे पिछले साल की समान अवधि में थोक महंगाई दर 13.11 फीसदी पर थी। गौर करने वाली बात यह है कि थोक मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है। वहीं पुराने आंकड़ों को देखें तो अप्रैल में मुद्रास्फीति का जो डाटा सामने आया था, वह बीते 30 सालों में अप्रैल महीने के दौरान सर्वाधिक है।
आपको बता दें कि खाने-पीने के सामान, ईंधन और बिजली के दाम में इजाफा होने से थोक महंगाई लगातार 13वें महीने डबल डिजिट में बनी हुई है। वहीं सरकार की तमाम कोशिशें बढ़ती महंगाई को काबू करने में नाकाम साबित हो रही हैं। आइए जानते है।
थोक मूल्य सूचकांक | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई
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आंकड़े | 13.11% | 14.55% | 15.08% | 15.08% |
ईधन और ऊर्जा पर बढ़ती महंगाई दर
वस्तुऐं | मई | अप्रैल | मार्च |
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर | 10.89% | 8.35% | 8.06% |
फ्यूल और पावर की महंगाई दर | 40.62% | 38.66% | 34.52% |
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की महंगाई दर | 10.11% | 10.85% | 10.71% |
भारत में महंगाई को दो तरह से मापा जाता है। पहला है रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, दूसरी है थोक महंगाई, जिसे होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) कहते है इसका अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। ये कीमतें थोक में किए गए सौदों से जुड़ी होती हैं। गौरतलब है कि इन दोनों तरह की महंगाई को मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है।