शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा अनिवार्य, UGC ने जारी किए निर्देश, ई–सिगरेट पर भी जताई चिंता, पढ़ें खबर

उच्च शिक्षणिक संस्थानों में महिलाओं के सुरक्षा को लेकर यूजीसी ने नोटिस जारी किया है। इंटरनल कंप्लेंट कमेटी और विशेष महिला सेल गठित करने का निर्देश दिया है।

Manisha Kumari Pandey
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UGC Updates

UGC Updates: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने शैक्षणिक संस्थानों में महिलाओं की सुरक्षा इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की उपलब्धता पर चिंता जताई है। इस संबंध में यूजीसी ने दो अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किए हैं। आयोग ने कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित संरक्षित परिवेश प्रदान करने के लिए सभी शैक्षणिक संस्थानों में महिला सुरक्षा को अनिवार्य किया है।

महिला सुरक्षा को लेकर यूजीसी ने दिए ये निर्देश

उच्च शिक्षा संस्थानों और कार्यक्षेत्र में महिलाओं को सुरक्षित और संरक्षित पर्यावरण प्रदान करने के संबंध में यूजीसी ने एडवाइजरी जारी की है। उच्च शिक्षा संस्थानों प्रशासन के कंट्रोल एक इंटरनल कंप्लेंट कमेटी और विशेष महिला सेल गठित करने का निर्देश दिया है, जो जेंडर अहिंसा पर निगरानी रखेंगे । साथ ही लिंग संवेदीकरण कार्यक्रम संचालित करेंगे।

संस्थाओं को पोस्ट और बैनर के जरिए कर्मचारी और छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए इमारत में प्रमुख स्थानों पर बैनर और पोस्टर लगाने का लगाने की सलाह दी है। आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों के नाम और संपर्क विवरण का उल्लेख नोटिस बोर्ड पर करने को भी कहा है। संस्थाओं को यौन उत्पीड़न के दंडात्मक परिणाम को दर्शाते हुए एक बिल बोर्ड लगाने का निर्देश भी दिया गया है। साथ ही इस बिल बोर्ड पर एक टोल फ्री नंबर और प्रबंध फोन नंबर भी उपलब्ध होना चाहिए। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 और आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता नंबर 112 जैसे महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने की भी सलाह दी है।

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ई-सिगरेट पर यूजीसी ने क्या कहा?

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, बिक्री आसानी से उपलब्धता पर भी चिंता जताई है। बता दें कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट प्रतिबंध एक्ट 2019 के तहत भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट और इसके जैसे डिवाइसेज को प्रतिबंधित कर दिया है। आयोग ने कहा कि, “ई-सिगरेट जैसे उपकरण ऑनलाइन स्टोर और स्थानीय विक्रेताओं के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हैं, जो एक चिंता का विषय है ।

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ऐसे उपकरण शैक्षणिक संस्थाओं के पास बेचें जाते हैं, छोटे बच्चों के लिए ऐसे उत्पाद आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। ऐसे प्रतिबंधित उत्पादों की बढ़ती उपलब्धता के प्रभाव को सुनिश्चित करने के लिए गंभीर कार्रवाई करने की जरूरत है। यह युवाओं के बीच गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को पैदा करते हैं। इन मामलों पर रोक लगाने के लिए उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में रैंडम माध्यम से विशेष अभियान चलाया जा सकता है। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रयोग नहीं किया जा रहा है।”

 


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