नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। यूजीसी (UGC) द्वारा नए नियम तय किए गए हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव रजनीश जैन (Rajnish jain) ने शुक्रवार को सभी विश्वविद्यालय के कुलपति और संस्थानों के निदेशकों को पत्र लिखा है। अपने को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि कॉलेज में प्रैक्टिस के प्रोफेसर (Expert Professor) की नियुक्ति हो सकेगी। इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों को लिखे अपने पत्र में यूजीसी सचिव ने कहा कि समय और बहू विषयों की शिक्षा के संदर्भ में नई शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश की गई है, इसके तहत विशेष रूप से संदर्भ क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए प्रैक्टिस पर प्रोफेसरों की नियुक्ति की जाएगी। सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि उच्च शिक्षण संस्थान को गैर शैक्षणिक कार्य शिक्षण और अनुसंधान में हासिल कौशल और विशेषज्ञता वाले लोगों की आवश्यकता है।
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इसके जरिए उच्च शिक्षा में प्रोफेसरों प्रैक्टिस को शामिल करने की एक नवीन पहल तैयार की गई है। इसके लिए यूजीसी द्वारा प्रदान किए गए दिशा निर्देश का पालन करते हुए आवश्यकता के अनुरूप अभ्यास के प्रोफेसर को नियुक्त करने के लिए आवश्यक कदम उठाया जाना चाहिए।
नवीन आदेश में कहा गया है कि विश्वविद्यालय महाविद्यालय में अभ्यास के प्रोफेसर को नियुक्त करने के लिए एक निश्चित अवधि निर्धारित की गई है। इसके अलावा शिक्षण संस्थान स्वीकृत पदों में से 10% पर ही प्रैक्टिस के प्रोफेसर की नियुक्ति हो सकेगी। वहीं इनका कार्यकाल 4 वर्ष का होगा।
इसके लिए योग्य उम्मीदवारों को कम से कम 15 साल की सेवा ही अनुभव के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित सामाजिक विज्ञान से लेकर मीडिया और सशस्त्र बलों तक के क्षेत्र में विशेषज्ञ जिन्होंने अपने व्यवसाय में उल्लेखनीय योगदान दिया हो जानी चाहिए। वर्तमान नियम में नियमित रूप से एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में भर्ती के लिए पीएचडी की आवश्यकता होती थी। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा।
दिशा निर्देश में स्पष्ट कहा गया है कि नवनिर्मित पद के लिए औपचारिक शैक्षणिक योग्यता को आवश्यक योग्यता नहीं बनाया जा सकता है। इसके लिए अनुकरणीय पेशेवर अभ्यास आवश्यक होगा। साथ में प्रोफेसर स्तर पर सदस्यों की भर्ती के लिए निर्धारित प्रकाशनों की आवश्यकता है और पात्रता मानदंड में भी छूट दी गई है।
दिशा निर्देश में कहा गया कि कई उद्योग स्नातक को नियुक्त करने के साथ ही उन्हें रोजगार देने से पहले प्रशिक्षण देते हैं। ऐसे विशेषज्ञों को संस्थान में शामिल किया जाना चाहिए। ताकि विशेषज्ञ और संस्थान दोनों को इसका लाभ मिल सके। इसके लिए तीन तरह की श्रेणियों का निर्माण किया गया। उद्योग द्वारा वित्त पोषित अभ्यास के प्रोफेसर, उच्च शिक्षण संस्थान द्वारा अपने स्वयं के संसाधन से वित्त पोषित अभ्यास के प्रोफेसर और मानवीय आधार पर अभ्यास के प्रोफेसर के तहत नियुक्ति की जाएगी।