Employees News : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी को बड़ी राहत दी है।छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता रिटायर अधिकारी को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है।इस संबंध में हाई कोर्ट ने संचालक पंचायत विभाग को नोटिस जारी किया है।
दरअसल, यह याचिका पंचायत विभाग में वरिष्ठ आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी के पद से सेवानिवृत केके कुमरे द्वारा हाई कोर्ट में दायर की गई थी, इसमें सेवानिवृति के बाद भी विभागीय अधिकारियों द्वारा समयमान वेतन का भुगतान ना करने की शिकायत की थी। कुमरे की तरफ से अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व घनश्याम शर्मा ने पक्ष रखते हुए कहा कि वर्ष 1979 में पंचायत विभाग में ग्राम सहायक के पद पर नियुक्ति हुई थी। सेवाकाल के दौरान वरिष्ठ आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी के पद पर प्रमोशन हुआ एवं 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने पर वे सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन अबतक प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान का भुगतान विभाग द्वारा नहीं किया गया है।
3 समयमान वेतनमान के पात्र
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ शासन द्वारा अप्रैल 2008 को जारी सर्कुलर के तहत छत्तीसगढ़ शासन के अधीन कोई भी शासकीय कर्मचारी अपने सेवाकाल के 10 व 20 वर्ष की सेवाकाल के पश्चात प्रथम, द्वितीय समयमान वेतनमान का पात्र है। अगस्त 2018 को जारी सर्कुलर के तहत सभी शासकीय कर्मचारी 30 वर्ष की सेवाकाल के पश्चात तृतीय समयमान वेतन के पात्र हैं। चूंकि याचिकाकर्ता की वर्ष 1979 में प्रथम नियुक्ति हुई थी एवं 38 वर्ष की सेवा के बाद वे सेवानिवृत्त हुए, ऐसे में वे अप्रैल 2008 एवं अगस्त 2018 को जारी सर्कुलर के तहत 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष की सेवाकाल के पश्चात प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतनमान के पात्र हैं।
पेश करना होगा अभ्यावेदन
मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच ने रिट याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने का निर्देश दिया है। वही हाई कोर्ट ने संचालक पंचायत विभाग एवं उप संचालक पंचायत विभाग राजनादगांव को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर नियमानुसर निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता को प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय समयमान वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अब याचिकाकर्ता को नए सिरे से विभाग के समक्ष अभ्यावेदन पेश करना होगा, इसके बाद विभागीय अधिकारी प्रक्रिया के तहत प्रकरण का निराकरण करेंगे।