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Wed, Dec 17, 2025

आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर फोकस, 2 अक्टूबर को ग्राम सभाओं में उठेगा ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर गैप’ का मुद्दा: सीएम विष्णु देव साय

Written by:Saurabh Singh
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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को मंत्रालय महानदी भवन में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि आदिवासी और सामान्य इलाकों के बीच के विकास अंतर (गैप) की पहचान कर 2 अक्टूबर को आयोजित ग्राम सभाओं में उस पर चर्चा की जाए।
आदिवासी क्षेत्रों के विकास पर फोकस, 2 अक्टूबर को ग्राम सभाओं में उठेगा ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर गैप’ का मुद्दा: सीएम विष्णु देव साय

छत्तीसगढ़ सरकार अब आदिवासी बहुल गांवों में बुनियादी सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के गैप को दूर करने के लिए जनभागीदारी आधारित पहल शुरू कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बुधवार को मंत्रालय महानदी भवन में एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि आदिवासी और सामान्य इलाकों के बीच के विकास अंतर (गैप) की पहचान कर 2 अक्टूबर को आयोजित ग्राम सभाओं में उस पर चर्चा की जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि

“आदि कर्मयोगी अभियान के माध्यम से जनजातीय बहुल गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जाएगा। यह कार्य जनसहभागिता से होगा और ग्रामीणों को सक्रिय रूप से जोड़ा जाएगा।”

1.32 लाख वॉलंटियर्स होंगे तैयार

इस अभियान के अंतर्गत राज्य भर में 1,32,400 वॉलंटियर्स को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इन वॉलंटियर्स की मदद से गांवों में अधोसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, संचार आदि क्षेत्रों में जो ‘क्रिटिकल गैप’ हैं, उनकी पहचान कर समाधान की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

गांवों में बनेंगे ‘आदि सेवा केंद्र’

बैठक में आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने जानकारी दी कि आदिवासी गांवों में ‘आदि सेवा केंद्र’ स्थापित किए जाएंगे। ये केंद्र गांवों में मूलभूत सुविधाओं की पहुंच बढ़ाने के साथ-साथ सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के सतत क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

मौजूद विकास की खाई को पाटना

प्रमुख सचिव ने बताया कि ये सेवा केंद्र शासन और ग्रामीणों के बीच सेतु का काम करेंगे और एकीकृत विकास की दिशा में महत्त्वपूर्ण कड़ी बनेंगे। सरकार की इस पहल का मकसद आदिवासी और गैर-आदिवासी क्षेत्रों के बीच मौजूद विकास की खाई को पाटना है। ग्राम सभाएं अब केवल औपचारिक बैठकों तक सीमित नहीं रहेंगी। बल्कि जमीनी समस्याओं के समाधान की दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएंगी।