छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को लेकर सियासत गरमा गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ऐलान किया है कि राज्य की भाजपा सरकार धर्मांतरण रोकने के लिए नया कानून लाने जा रही है। इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और इसे आगामी विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बयान पर तीखा पलटवार किया है।
CM का कांग्रेस पर हमला
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ एक शांतिप्रिय राज्य है, जहां लोग मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन कुछ लोग लालच और प्रलोभन देकर धर्मांतरण करा रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं बचा है, इसलिए वह ऐसे ‘ऊलजलूल’ आरोप लगाकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है।
पर्ची पढ़कर बोलते हैं
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सीएम साय के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा और मुख्यमंत्री को इस मुद्दे की बुनियादी जानकारी नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि 2006 में तत्कालीन रमन सिंह सरकार ने धर्मांतरण रोकने के लिए एक प्रस्ताव विधानसभा में पास किया था। वह प्रस्ताव राजभवन और राष्ट्रपति भवन तक गया, लेकिन आज तक उसकी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा, “अगर उस प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो साय सरकार को पहले उसकी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है, वे तो जो पर्ची दी जाती है, वही पढ़ देते हैं।”
कानून पहले से मौजूद है
बघेल ने सवाल उठाया कि जब 2006 में धर्मांतरण पर कानून लाने का प्रस्ताव पारित हो चुका है, तो अब नए कानून की जरूरत क्यों पड़ी? उन्होंने कहा कि यदि सरकार को कानून सख्त करना है, तो मौजूदा कानून को संशोधित करे, नया कानून लाने की बात जनता को भ्रमित करने जैसी है।
कानून-व्यवस्था पर भी सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि बिना जांच के गिरफ्तारियां हो रही हैं, जबकि कानून कहता है कि पहले जांच हो और फिर कार्रवाई। बघेल ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों—ईसाई, मुस्लिम और सिख समुदायों को टारगेट कर रही है और बहुसंख्यक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।
उन्होंने रायपुर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां एसपी और थानेदार तो हटा दिए गए, लेकिन IG पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इससे साफ है कि सरकार पूरी तरह से पक्षपात कर रही है।





