छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सोमवार को राजधानी रायपुर में शिक्षा, कौशल विकास और नवाचार के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया गया। पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में राज्य सरकार, भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) रायपुर, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) रायपुर और मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन के बीच त्रिपक्षीय एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।
इस समझौते के तहत “श्रीमती मिथिलेश अग्रवाल नवाचार एवं उद्यमिता उत्कृष्टता केंद्र” की स्थापना की जाएगी। इसका निर्माण 2025-26 में शुरू होगा और 2027-28 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह केंद्र सिर्फ IIM या NIT के छात्रों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि गांव-गांव के युवाओं को शोध, प्रयोग और उद्यमिता के जरिए आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा।
नई अर्थव्यवस्था की ओर छत्तीसगढ़
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि राज्य अब कोर सेक्टर के साथ-साथ सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फार्मा, डिफेंस, एयरोस्पेस और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे उभरते क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले 20 महीनों में 350 से ज्यादा सुधार किए गए हैं, जिससे निवेश का माहौल अनुकूल हुआ है। सिर्फ आठ महीने में ही 6.75 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।
किसानों के लिए देश का सबसे बड़ा प्रशिक्षण केंद्र
कार्यक्रम में मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन के सह-संस्थापक और चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने रायपुर में किसानों के लिए देश का सबसे बड़ा प्रशिक्षण केंद्र बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने अपनी कुल निधि का 10% समाज कल्याण के लिए समर्पित किया है, जो शिक्षा, कौशल और कृषि क्षेत्र में खर्च होगा।
172 करोड़ का दान, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होंगे शुरू
मोतीलाल ओसवाल फाउंडेशन ने IIM रायपुर और NIT रायपुर को कुल 172 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया। इसमें से 101 करोड़ रुपये IIM रायपुर को और 71 करोड़ रुपये NIT रायपुर को दिए जाएंगे। IIM रायपुर में “ओसवाल छात्रावास” और “दाऊ राम गोपाल अग्रवाल नॉलेज सेंटर” स्थापित होंगे। साथ ही, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की शीर्ष यूनिवर्सिटीज के साथ मिलकर छह अंतरराष्ट्रीय MBA प्रोग्राम शुरू होंगे।
वहीं, NIT रायपुर में “श्रीमती मिथिलेश अग्रवाल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस” बनेगा, जहां AI, रोबोटिक्स, IoT, ब्लॉकचेन और क्लीन एनर्जी जैसे डीप-टेक क्षेत्रों पर काम होगा।
यह पहल 2030 तक 10,000 से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित करेगी, 250 से अधिक स्टार्टअप्स को इनक्यूबेट करेगी और 5,000 से ज्यादा नौकरियां पैदा करेगी। केंद्र का फोकस खनन, इस्पात और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जरूरतों को ध्यान में रखकर समाधान तैयार करना होगा।





