छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक बार फिर मौजूदा साय सरकार पर तीखा हमला बोला है। इस बार मुद्दा था—गौमाता। भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने गौठान योजना बंद कर दी है। गायों के लिए गौ अभयारण्य और गोधाम बनाने की घोषणा तो हुई, लेकिन 20 महीने बाद भी एक ईंट नहीं रखी गई।
दिल्ली से लौटते वक्त रायपुर एयरपोर्ट पर भूपेश बघेल ने कहा,
“सड़कों पर मवेशियों को मरने के लिए छोड़ दिया गया है। ये ऐसे गौभक्त हैं, जिन्हें गायों का श्राप लगेगा।”
गाय सड़क पर, किसान परेशान
बघेल ने आगे कहा कि खेतों में फसल खड़ी है। किसान रात-रात भर खेतों में मवेशियों से फसल बचा रहे हैं। मवेशी भगाए जाते हैं, तो वो सड़कों पर आ जाते हैं। बारिश के मौसम में मच्छर और गंदगी से बचने के लिए भी मवेशी सड़क पर बैठते हैं। और फिर उन्हें गाड़ियां कुचल देती हैं। बघेल ने ये भी कहा कि बीजेपी सिर्फ दिखावे की गौभक्ति करती है, जमीनी स्तर पर गायों की दशा बेहद खराब है।
जल्द बनेगा गौ अभयारण्य
पूर्व सीएम के इन आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास सामने आए। उन्होंने सफाई दी। कहा,
“गौ अभयारण्य के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। जल्द इसे लागू किया जाएगा। पंचायत विभाग इसकी जिम्मेदारी संभालेगा। ये पूरा प्रोजेक्ट छत्तीसगढ़ महतारी को समर्पित रहेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग (NH) से मवेशियों को हटाने का काम शुरू हो चुका है। संबंधित अधिकारियों को NH पर पेट्रोलिंग के निर्देश दिए जा चुके हैं।
20 दिन में 50 से ज्यादा गायों की मौत
मामला सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी तक सीमित नहीं है। आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। रायपुर-बिलासपुर हाईवे पर बीते 20 दिन में 50 से अधिक गायों की जान चली गई। वजह अनियंत्रित वाहन और सड़कों पर मवेशियों की मौजूदगी। हाईकोर्ट पहले ही आदेश दे चुका है कि सड़कों से मवेशियों को हटाया जाए, लेकिन ज़मीनी हालात जस के तस हैं।
“धर्मांतरण गृहमंत्री के जिले में हो रहा है”
पूर्व मुख्यमंत्री ने धर्मांतरण के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा,
“गृहमंत्री के ही जिले में धर्मांतरण हो रहा है और वो उसे रोक नहीं पा रहे। अगर कोई लालच या दबाव देकर धर्म बदलवाता है, तो गलत है। लेकिन अगर कोई अपनी मर्ज़ी से धर्म बदले, तो वह उसका संवैधानिक अधिकार है।”
उन्होंने बताया कि रमन सरकार के कार्यकाल में 2006 में धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पास हुआ था, लेकिन आज तक लागू नहीं किया गया।अब ये सरकार कहती है कि अधिनियम में संशोधन करेंगे। ये सब सिर्फ दिखावा है। केरल में कुछ और बोलते हैं, छत्तीसगढ़ में कुछ और।





