छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के 100 प्रतिशत दिव्यांगजनों को कौशलयुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसको लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मंत्रालय में समाज कल्याण विभाग की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई और अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा,
“दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम तेज किया जाए। उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार उन्हें विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत स्वरोजगार या बेहतर नौकरी के लिए तैयार हो सकें।”
लंबित पेंशन का तुरंत निराकरण
बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि राज्य में वृद्धजनों और दिव्यांगजनों से जुड़े लंबित पेंशन प्रकरणों का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए। उन्होंने कहा कि यह काम सेवा भावना से किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि पात्र लोगों को समय पर उनका अधिकार मिले।
इस दौरान मुख्यमंत्री साय ने साफ कहा,
“बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और निराश्रितों के कल्याण में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
पुनर्वास केंद्रों की स्थिति सुधारने पर जोर
सीएम साय ने वृद्धाश्रमों, दिव्यांग संस्थाओं और पुनर्वास केंद्रों की व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हुए उन्हें सुदृढ़ करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि थर्ड जेंडर समुदाय के पंजीयन की प्रक्रिया तेज की जाए और उन्हें राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए।
क्या बोलीं समाज कल्याण मंत्री?
बैठक में मौजूद समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर यदि कोई बेघर, बेसहारा, घुमंतू, दिव्यांग, बच्चा या महिला मिलते हैं और उन्हें पुनर्वास की ज़रूरत है, तो तुरंत केंद्रों में लाने की व्यवस्था हो। इसके साथ ही उन्होंने पेंशन मामलों का भौतिक सत्यापन कर पात्र लोगों को वरीयता के आधार पर पेंशन देने और विभागीय हेल्पलाइन नंबर का व्यापक प्रचार-प्रसार करने को भी कहा।





