छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले की जिंदा ग्राम पंचायत को राज्य की पहली टीबी मुक्त पंचायत घोषित किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की इस ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा शुक्रवार को की गई। राज्य के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जिंदा पहुंचकर गांव को टीबी मुक्त प्रमाणपत्र सौंपा और ग्रामीणों को बधाई दी।
क्या बोले स्वास्थ्य मंत्री?
इस मौके पर मंत्री जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ अभियान को छत्तीसगढ़ में गंभीरता और प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा,
“टीबी कभी एक गंभीर बीमारी मानी जाती थी, लेकिन आज आधुनिक इलाज, वैक्सीन और जनभागीदारी की वजह से यह बीमारी लगभग खत्म होने की कगार पर है।”
मंत्री ने यह भी बताया कि टीबी नियंत्रण केवल सरकारी प्रयासों से नहीं, बल्कि सामाजिक भागीदारी से ही संभव है। कबीरधाम जिले में अब तक 84 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है।
4 हजार से ज्यादा पंचायतें टीबी मुक्त
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक छत्तीसगढ़ की 4,016 ग्राम पंचायतों को अब तक टीबी मुक्त घोषित किया जा चुका है। गृह मंत्री विजय शर्मा ने जिंदा गांव को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी और कहा कि यह पंचायत पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बन गई है।
100 दिन का चला था विशेष अभियान
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 7 दिसंबर 2024 को ‘निक्षय-निरामय छत्तीसगढ़ – 100 दिवसीय अभियान’ की शुरुआत की थी। इस अभियान का मकसद था – गांव-गांव में जाकर टीबी के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ना।
इस अभियान के तहत- 36 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की गई। 4.5 लाख एक्स-रे और। 1.5 लाख ‘नॉट मशीन’ से जांचें की गईं। यह अभियान रोग की समय पर पहचान और त्वरित इलाज के लिए बेहद सफल साबित हुआ।
निक्षय मित्रों ने निभाई बड़ी भूमिका
टीबी मरीजों को पोषण सहायता देने के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने खुद मरीजों को गोद लेकर ‘निक्षय मित्र’ बनने की मिसाल पेश की। अब तक 15,000 से ज्यादा निक्षय मित्रों ने पंजीकरण कर 34,000 से अधिक मरीजों को पोषण किट उपलब्ध कराई है।





