सीएम से विधायक ने पूछा,” सहारा और चिटफंड कंपनियों से “यह रिश्ता क्या कहलाता है”

Gaurav Sharma
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रायपुर डेस्क रिपोर्ट। सहारा की कोऑपरेटिव सोसाइटीयो द्वारा निवेशकों का भुगतान न करने का मामला छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को जमकर उठा। इस दौरान विपक्षी विधायकों ने चिटफंड कंपनियों पर कार्रवाई न करने पर सरकार को आड़े हाथों लिया। वहीं सरकार ने कहा कि वह लगातार कार्रवाई कर रही है।

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जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की विधायक डॉ रेनू अजीत जोगी ने प्रश्नकाल में छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों पर सरकार की कार्रवाई के खिलाफ सवाल पूछा था। उन्होंने यह भी पूछा था कि सहारा इंडिया की विभिन्न शाखाओं में निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि के लिए सरकार ने क्या कार्रवाई की है और कंपनी की स्कीमों में निवेशकों का कितना निवेश है। इस पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की तरफ से जवाब आया कि सहारा इंडिया कंपनी के वित्तीय व्यवसाय व प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण नहीं है जिसके कारण निवेशकों के द्वारा की जा रही जमा राशि और भुगतान की जानकारी सरकार नहीं दे सकती। इसके बाद भी जो मामले ध्यान में आ रहे हैं, उन पर समुचित कार्रवाई की जा रही है। डॉ रेणु जोगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने सरकार आने के पहले जन घोषणापत्र में वादा किया था कि चिटफंड कंपनियों में किया गया लोगों का पैसा सरकार वापस दिलाएगी। लेकिन यह मात्र छलावा बनकर रह गया है। डॉ रेणु जोगी ने यह भी कहा कि “सहारा इंडिया के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 ,कूटरचित दस्तावेज और आपराधिक षड्यंत्र के तहत अपराध दर्ज क्यों नहीं हो रहा है। जब सहारा प्रमुख सेबी के कारण काफी समय जेल में रहते हैं तो हमारी पुलिस इस बारे में निष्क्रिय क्यों है। सहारा कंपनी को सहारा देकर सरकार छत्तीसगढ़ के लोगों को बेसहारा करना चाहती है। मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और सहारा व अन्य चिटफंड कंपनियों का यह रिश्ता क्या कहलाता है।” इस पर गृहमंत्री ने कहा कि “यह रिश्ता क्या कहलाता है, यह तो सन 2018 के पहले वाले बताएंगे। लेकिन मैंने अपने उत्तर में साफ कहा है कि सहारा इंडिया के व्यवसाय प्रबंधन पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। इसके बाद भी यदि कोई शिकायतकर्ता रिपोर्ट कर रहा है तो हम उस पर FIR कर रहे हैं, अब तक 137 शिकायतें आई हैं जिनमें 4 पर कार्रवाई की जा चुकी है। बाकी की जांच चल रही है।

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विधायक सौरभ सिंह ने पूछा कि सहारा की 500 एकड़ जमीन रायपुर में है क्या उस जमीन को नीलाम किया जाएगा। इस पर भी गृह मंत्री ने नियमानुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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