छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन सदन में सौहार्दपूर्ण नजारा देखने को मिला। बिजली बिल में बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर बहस के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के जवाब से संतुष्ट होकर उनकी खुले मंच पर तारीफ की। वहीं, मुख्यमंत्री ने भी नेता प्रतिपक्ष को “सज्जन आदमी” बताते हुए उनकी सराहना का सम्मान किया। इस दौरान कहा कि अच्छे कामों की प्रशंसा में राजनीति नहीं होनी चाहिए।
बिजली दरों में वृद्धि पर प्रस्ताव
दरअसल विपक्ष ने राज्य में बिजली दरों में वृद्धि के विरोध में विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। इस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विस्तार से जवाब देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए घोषित बिजली टैरिफ में केवल 1.89 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है। उन्होंने इसे पिछले वर्षों की तुलना में “न्यूनतम वृद्धि” बताया।
सीएम साय ने बताया कि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए केवल 10 से 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि हुई है। जबकि कृषि पंपों पर 50 पैसे की वृद्धि की गई है। लेकिन इसका भार किसानों पर नहीं पड़ेगा। क्योंकि यह राशि पहले से ही शासन द्वारा सब्सिडी के रूप में वहन की जा रही है।
भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में शहरी क्षेत्रों में औसतन 23.85 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 23.45 घंटे प्रतिदिन बिजली आपूर्ति हो रही है। वहीं, कृषि फीडरों में 18 घंटे की आपूर्ति दी जा रही है। जो राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक है। साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में किए गए निवेश की जानकारी देते हुए सीएम ने बताया कि ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन और जनरेशन कंपनियों के लिए कुल 9402 करोड़ रुपये का केपिटल इन्वेस्टमेंट प्लान लागू किया गया है। कोरबा में 1320 मेगावाट की क्षमता वाला बिजली संयंत्र 15,800 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जा रहा है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हम बिजली बिल के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लेकर आए थे। सीएम के जवाब से हम संतुष्ट हैं, इसलिए हमने उनका धन्यवाद किया।” उनके इस रुख को लेकर राजनीतिक हलकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। सीएम विष्णुदेव साय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “चरणदास जी सज्जन व्यक्ति हैं। अच्छे काम की सराहना होनी चाहिए, उसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए।”
विपक्ष ने नहीं किया हंगामा
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष का स्थगन प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि आमतौर पर प्रस्ताव खारिज होने पर हंगामा करने वाला विपक्ष शांत रहा और सदन से वॉकआउट भी नहीं किया।





