शराब घोटाला, कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप से जुड़े मामलों में घिर चुके छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है। याचिका में बघेल ने खुद को बेगुनाह बताते हुए जांच में पूरा सहयोग देने की बात कही है।
पूर्व सीएम ने याचिका में दावा किया है कि जैसे उनके बेटे चैतन्य बघेल को राजनीतिक बदले की भावना से फंसाकर गिरफ्तार किया गया। वैसे ही उन्हें भी टारगेट किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीतिक द्वेष की भावना से प्रेरित हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
उधर, शराब घोटाले में जेल में बंद उनके बेटे चैतन्य बघेल ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। चैतन्य की ओर से दायर जमानत याचिका में कहा गया है कि उनका नाम न तो ईडी की एफआईआर में है और न ही किसी गवाह के बयान में, फिर भी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
5 महीने पहले पड़ी थी ED की रेड
इस साल की शुरुआत में ईडी ने भूपेश बघेल के भिलाई-3 स्थित आवास पर छापा मारा था। सुबह 8 बजे शुरू हुई ये कार्रवाई करीब 10 घंटे तक चली थी। इस दौरान ईडी की टीम ने 32-33 लाख रुपये कैश और कई दस्तावेज जब्त किए थे। रेड के दौरान नोट गिनने की मशीन और सोना जांचने वाला उपकरण भी मंगाया गया था।
इसी दिन चैतन्य बघेल से जुड़े 14 ठिकानों पर भी छापे मारे गए थे। ईडी ने आरोप लगाया था कि 2100 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में चैतन्य को भी आर्थिक लाभ पहुंचाया गया। उनके करीबी लक्ष्मीनारायण बंसल, पप्पू बंसल समेत कई कारोबारियों और बिल्डरों के यहां भी ईडी की टीम पहुंची थी।
फिर आई CBI
एक महीने बाद CBI ने महादेव सट्टा ऐप मामले में भूपेश बघेल के ठिकानों पर दबिश दी। इस दौरान उनके दो पूर्व OSD आशीष वर्मा और मनीष बंछोर, पूर्व सचिव सौम्या चौरसिया और कई अफसरों के यहां छापे पड़े।
CBI ने रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, चार IPS अफसर- आनंद छाबड़ा, अभिषेक पल्लव, आरिफ शेख और प्रशांत अग्रवाल के घर भी छापेमारी की। ASP संजय ध्रुव और दो सिपाही नकुल व सहदेव के साथ-साथ प्रशांत त्रिपाठी के यहां भी टीम पहुंची। CBI की टीम कई डिजिटल और हार्ड कॉपियां जब्त कर अपने साथ ले गई थी।





