छत्तीसगढ़ में हाल ही में हुए कैबिनेट विस्तार के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। राज्य के गठन के बाद पहली बार मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल में 14 सदस्य शामिल किए गए हैं, जबकि पहले यह संख्या 13 थी। इस विस्तार को लेकर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इसकी वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं, वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। बैज ने कहा कि संविधान के अनुसार छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 13 मंत्री ही हो सकते हैं, और 14वें मंत्री की नियुक्ति बिना अनुमति के की गई है, जो गैरकानूनी है।
दीपक बैज ने मांग की है कि सरकार 13वें मंत्री की नियुक्ति के लिए ली गई अनुमति और गजट नोटिफिकेशन को सार्वजनिक करे। उन्होंने आरोप लगाया कि यदि अनुमति नहीं ली गई, तो यह मंत्रिमंडल “फर्जी” है और एक मंत्री को तत्काल हटाया जाना चाहिए। इसके अलावा, बैज ने गृह मंत्री विजय शर्मा की कार्यशैली पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शर्मा गृह विभाग संभालने में नाकाम रहे हैं, जिसके चलते राज्य में हत्या, लूटपाट, अपहरण, बलात्कार और नशीली दवाओं की तस्करी जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं। बैज ने सुझाव दिया कि मुख्यमंत्री को गृह विभाग शर्मा से वापस लेकर किसी सक्षम मंत्री को सौंपना चाहिए।
बीजेपी पर उंगली नहीं उठानी चाहिए
इस विवाद पर बीजेपी की ओर से डिप्टी सीएम अरुण साव ने जवाब दिया। साव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनका इतिहास संविधान की अवहेलना करने का रहा है, उन्हें बीजेपी पर उंगली नहीं उठानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि कैबिनेट विस्तार संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत हुआ है और हरियाणा मॉडल का उदाहरण देते हुए इसे संविधान सम्मत बताया। साव ने कहा कि बीजेपी संविधान का सम्मान करती है और सभी प्रक्रियाएं इसके अनुरूप हैं।
विपक्ष का संवैधानिक उल्लंघन
संविधान के 91वें संशोधन (2003) के अनुसार, किसी राज्य के मंत्रिमंडल का आकार विधानसभा की कुल सीटों के 15% से अधिक नहीं हो सकता। 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह संख्या 13 होनी चाहिए। हालांकि, 20 अगस्त को हुए विस्तार में तीन नए विधायकों को शामिल कर मंत्रिमंडल का आकार 14 हो गया। सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ ने ‘हरियाणा मॉडल’ अपनाया है, जहां 90 सदस्यीय विधानसभा में 14 मंत्री हैं। इस मॉडल के आधार पर सरकार ने यह कदम उठाया है, लेकिन विपक्ष इसे संवैधानिक उल्लंघन मान रहा है और इस मुद्दे को लेकर सियासी जंग और तेज होने की संभावना है।





