छत्तीसगढ़ में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) कर्मचारियों का सरकार के खिलाफ आक्रोश चरम पर पहुंच गया है। नियमितीकरण और 10 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से चल रहे आंदोलन के बावजूद सरकार की ओर से कोई ठोस कदम न उठाए जाने से नाराज कर्मचारियों ने गुरुवार को प्रदेशभर में सामूहिक इस्तीफे सौंपे। बस्तर में 887, कांकेर में 655, बिलासपुर में 735, बलौदाबाजार में 421, जांजगीर-चांपा में 340 और मुंगेली में 300 से अधिक कर्मचारियों ने जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को त्यागपत्र सौंपकर अपना विरोध दर्ज कराया।
प्रदेश की राजधानी रायपुर में भी बड़ी संख्या में एनएचएम कर्मचारी सीएमएचओ कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने इस्तीफे सौंपने के बाद प्रदर्शन किया। बिलासपुर में कर्मचारियों ने बाइक रैली निकालकर सीएमएचओ कार्यालय का घेराव किया, जबकि जांजगीर-चांपा में आदेश की प्रतियां जलाकर सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। कर्मचारियों का कहना है कि 35 अधिकारियों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी ने उनके आक्रोश को और भड़का दिया है, और वे अब आंदोलन को और उग्र करने के मूड में हैं।
सरकार ने बार-बार कहा ‘मोदी की गारंटी’ लेकिन वादा पूरा नही
एनएचएम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने बताया कि 14,767 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दिया है, जो 25 पदाधिकारियों की बर्खास्तगी के विरोध में है। उन्होंने सरकार से संवाद के जरिए समाधान निकालने और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से हस्तक्षेप की अपील की। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार ने बार-बार नियमितीकरण का आश्वासन दिया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने ‘मोदी की गारंटी’ का हवाला देते हुए कहा कि वादा पूरा होने तक आंदोलन जारी रहेगा।
कर्मचारियों की मांगों पर सरकार का रुख
इन सामूहिक इस्तीफों ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्रों की सेवाओं को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। जिला स्वास्थ्य अधिकारी और सीएमएचओ स्तर से इस्तीफे शासन को भेजे जा रहे हैं, और अब गेंद सरकार के पाले में है। कर्मचारियों की मांगों पर सरकार का रुख और इस आंदोलन का भविष्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए निर्णायक साबित होगा।





