भोपाल डेस्क रिपोर्ट– कोविड-19 के इलाज में रामायण माने जाने वाले रेमडेसीवर इंजेक्शन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार की दोपहर अधिकारियों को इस बात के निर्देश दिए थे कि वे रेमडेसीवर इंजेक्शन के कमी को दूर करने के लिए उसके प्रोटोकोल को तय करें ।खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं
इंदौर में कोरोना से बिगड़े हालात, रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की हुई कमी, सड़कों पर उतरे लोग, प्रशासन परेशान
इंदौर सहित प्रदेश के कई स्थानों पर रेमडेसीवर इंजेक्शन की आपूर्ति की कमी की खबरों के चलते अफरातफरी की स्थिति बन गई थी। मेडिकल स्टोर पर रेमडेसीवर इंजेक्शन के लिए लंबी-लंबी मिले लगातार देखी जा रही थी। यह भी दिखाई दे रहा था कि कई लोग बिना डॉक्टर के सुझाव के रेमडेसीवर इंजेक्शन इसलिए खरीद कर रख रहे हैं कि वे इमरजेंसी में इसका उपयोग कर सकें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात को बेहद गंभीरता से लिया था और उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि रेमडेसीवर इंजेक्शन की सहज एवं सरल आपूर्ति के लिए प्रोटोकॉल बनाएं। अब नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन डा.संजय गोयल ने इस बाबत आदेश जारी किए हैं।प्रदेश के सभी सीएमएचओ और औषधि निरीक्षकों को दिए गए आदेश में कहा गया है कि वे कोविड-19 के इलाज में प्रयुक्त होने वाली औषधि रेमडेसीवर इंजेक्शन की सुलभ आपूर्ति बनाए रखें।
होम आइसोलेशन को लेकर प्रदेश सरकार ने जारी की नई गाइडलाइन
आदेश में लिखा है कि कोविड-19 के संक्रमण के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण गंभीर मरीज इलाज हेतु प्रदेश के निजी एवं शासकीय चिकित्सालयों में भर्ती हो रहे हैं। कोरोना से संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए रेमडेसीवर इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है। इस औषधि की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल इंडिया न्यू दिल्ली द्वारा केवल रेस्टिकेट इमरजेंसी यूज्ड के लिये दी गई है| जिसका विक्रय केवल विशेषज्ञ के द्वारा अस्पताल में उपयोग हेतु ही किया जाना है। आदेश में यह भी लिखा है कि कोरोना संक्रमितो की संख्या में लगातार वृद्धि होने के कारण उक्त औषधि की मांग एवं आपूर्ति का पर्यवेक्षण किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है और ऐसा करने के लिए निम्न निर्देश जारी किए गए हैं- ‘रेमडेसीवर इंजेक्शन को केवल रेस्टीकेट इमरजेंसी यूज़ की शर्त पर ही उपयोग किया जाए, इस औषधि का उपयोग स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना इलाज हेतु जारी किए गाइडलाइन के अनुसार किया जाए। इस औषधि को किस मरीज को किस इमरजेंसी हालत में दी गई है इसका भी रिकॉर्ड रखा जाए और चिकित्सक द्वारा लिखे गए पर्चे पर इमरजेंसी परिस्थिति को भी अंकित किया जाए और अस्पताल की रिपोर्ट में भी इन परिस्थितियों का उल्लेख किया जाए। जांच के दौरान जांच अधिकारी के समक्ष यह रिकॉर्ड भी पेश किया जाना चाहिए।’ आपातकाल प्रयोग के अलावा अगर इस इंजेक्शन का प्रयोग पाया जाता है तो इसका पूरा दायित्व डॉक्टर अस्पताल या नर्सिंग होम का होगा
लॉकडाउन को लेकर सीएम शिवराज ने लिया बड़ा निर्णय
दरअसल इंदौर शहर प्रदेश मे कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित है।कोरोना के बढ़ते मरीजों का असर स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी पड़ है।इंदौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन कमी देखी जा रही है।। दवाई की दुकानों के बाहर लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं बावजूद इसके लोगों को रेमडिसिवर इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है।इंदौर के कलेक्टर मनीष सिंह ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी के पीछे का कारण महाराष्ट्र में बढ़ते कोरोना मरीजों को बताया है। उन्होंने कहा कि अब तक हमें गुजरात और महाराष्ट्र से जितनी मात्रा में इंजेक्शन मिलने चाहिए उतने इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। इसी के चलते शहर में इंजेक्शन की कमी आई है।
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क्या है रेमडेसीवर इंजेक्शन ?
रेमडेसिवीर एक न्यूक्लियोसाइड राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) पोलीमरेज़ इनहिबिटर इंजेक्शन है।
इसका निर्माण सबसे पहले वायरल रक्तस्रावी बुखार इबोला के इलाज के लिए किया गया था।
इसे अमेरिकी फार्मास्युटिकल गिलियड साइंसेज द्वारा बनाया गया है।
रेमडेसिवीर दवा सीधे वायरस पर हमला करती है। इसे ‘न्यूक्लियोटाइड एनालॉग’ कहा जाता है जो एडेनोसिन की नकल करता है, जो RNA और DNA के चार बिल्डिंग ब्लॉक्स में से एक है।