3 लाख कर्मचारियों को जल्द मिलेगा बड़ा तोहफा, ड्राफ्ट तैयार, कैबिनेट में होगा पेश, मिलेगा प्रमोशन का लाभ

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राज्य के 3 लाख से अधिक कर्मचारियों (Employees) को जल्द बड़ा तोहफा मिल सकता है। दरअसल 6 सालों से पदोन्नति (promotion) पर लगी रोक हट सकती है। इसके लिए पदोन्नति नियम 2022 (Promotion Rules 2022) के ड्राफ्ट (draft) को तैयार कर लिया गया है। शुक्रवार को विधि विभाग ने पदोन्नति नियम 2022 के संशोधित सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) को लौटा दिए हैं। वित्त विभाग के मुताबिक हर साल एक जनवरी को पदों की गणना की जाएगी। शासन स्तर पर समिति गठित होगी, उच्च स्तरीय समिति इसकी निगरानी करेगी।

दरअसल मध्य प्रदेश पदोन्नति नियम 2002 हाई कोर्ट द्वारा प्रमोशन में आरक्षण के प्रावधान होने की वजह से निरस्त कर दिया गया था। तभी से मध्य प्रदेश में प्रमोशन पर रोक लग गई है। 6 साल से लगी रोक की वजह से 70 हजार से अधिक अधिकारी कर्मचारी बगैर प्रमोशन के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। अब विभाग द्वारा फिर से पदोन्नति नियम 2022 तैयार किया गया विभाग में संवर्गवार पदों में से रिक्त पदों की पुष्टि की जाएगी।

तय रिजर्वेशन के हिसाब से वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति दी जाएगी। संवर्ग बार पदों में रिक्त पदों पर थे रिजर्वेशन के हिसाब से एसटी के 20% जबकि SC के 16% पद भरे जाएंगे। पदोन्नति के ड्राफ्ट को कैबिनेट में ले जाया जाएगा जहां से मंजूरी मिलने के बाद प्रदेश में पदोन्नति की प्रक्रिया शुरू होगी।पदोन्नति नियम के तहत विभाग में खाली पदों की गणना की जाएगी। इसमें यह भी देखा जाएगा कि 20% शेड्यूल्ड ट्राइब जो कि 16% शेड्यूल कास्ट के पद भरे जाएं।

पदोन्नति नियम के तहत पदोन्नति से पहले आरक्षित वर्ग के पद भरे जाएंगे। उसके बाद अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नत किया जाएगा यानी कुल पदों की संख्या 50 होने की स्थिति में पदोन्नति पानी वाले कर्मचारियों की संख्या 150 है तो पहले 20 पद आरक्षित वर्ग से भरे जाएंगे। इसमें कर्मचारी अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी से जूनियर हो, तब भी उन्हें पदोन्नति का लाभ मिलेगा। बचे 30 अनारक्षित पद से भी आरक्षित वर्ग का कोई कर्मचारी सीनियर रहता है तो उसे पद पर पदोन्नति दी जा सकेगी। इसके बाद बचे हुए पद पर अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नत किया जाएगा।

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  • क्लास 3 से ग्रेड 1, 2, 3 के लिए 5 साल की ग्रेडिंग के 12 अंक होने अनिवार्य है। क्लास टू के लिए 14 अंक और क्लास 1 के कर्मचारियों के लिए 15 अंक होना आवश्यक है।
  • प्रमोशन में आरक्षण दिया जाएगा लेकिन यदि आरक्षित वर्ग के अधिकारी और कर्मचारी को नहीं मिला है तो आरक्षण शून्य घोषित कर दिया जाएगा।
  • प्रतिवर्ष 1 जनवरी की स्थिति में आरक्षित वर्ग के प्रतिनिधित्व की स्थिति का आकलन किया जाएगा अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को कितने प्रतिशत आरक्षण देय होगा, यह इस आधार पर तय किया जाना है।
  • मेरिट कम सीनियरिटी के अनुसार पदोन्नति में मेरिट गोपनीय चरित्रावली के अंकों को आधार मानकर किया जाएगा। मेरिट में पांच श्रेणियों निर्धारित की गई है। A+ के लिए 4 यानी 5 साल के 20 अंक निर्धारित किए गए हैं। A के लिए तीन यानी 5 साल के लिए 15 अंक निर्धारित किए गए हैं। B के लिए दो अंक यानि 5 साल के 10 अंक और C के लिए 1 अंक यानी 5 साल के लिए 5 अंक निर्धारित किए गए हैं। D के लिए शून्य अंक निर्धारित की गई।
  • वही मेरिट तय करने के लिए श्रेणी 3 के पदों की मेरिट के पहले चरण में सेक्शन ऑफिसर कर्मचारी की CR लिखेंगे। उसके परीक्षण अंडर सेक्रेट्री द्वारा किया जाएगा जबकि स्वीकृति डिप्टी सेक्रेटरी द्वारा दी जाएगी।
  • श्रेणी 2 के मामले में CR का मामला अपर मुख्य सचिव तक पहुंचेगा जबकि श्रेणी एक के कर्मचारियों के पदों पर CR की स्वीकृति मुख्य सचिव स्तर पर की जाएगी।
  • वही श्रेणी 1 और 2 के पदों पर पदोन्नति के मामले में यदि दोनों अफसरों के मेरिट के अंक समान हैं तो उनकी उम्र से उनकी वरिष्ठता का अनुमान लगाया जाएगा और वरिष्ठ कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जाएगा।

वही नए पदोन्नति नियम के तहत यदि यह पद भरे हुए हैं तो अनारक्षित वर्ग से वरिष्ठता के आधार पर इन पदों को भरे जाने की प्रक्रिया पूरी होगी। वहीं नए प्रस्तावित नियम के तहत पहले आरक्षित संपर्क से उच्च पदों को भरा जाएगा। इसके बाद आरक्षित वर्ग के कर्मचारी अनारक्षित वर्ग में प्रमोशन पाते हैं तो उन्हें आगे की पदोन्नति अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों में ही दी जाएगी।

इससे पहले 2016 के 30 अप्रैल को राज्य सरकार के 2002 के भर्ती नियम के आरक्षण रोस्टर को रद्द कर दिया गया था। इस नियम के हिसाब से जो पदोन्नति दी गई थी, उसे भी निरस्त किए गए थे।जिसके बाद राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। वही मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। हालांकि इस दौरान कोर्ट ने राहत देते हुए कहा था कि जो निरस्त किए गए रोस्टर के हिसाब से पदोन्नत हो गए हैं उन्हें रिवर्ट ना किया जाए।


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