भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। केंद्र सरकार (central government) ने सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) के तहत कर्मचारी के DA में बढ़ोतरी का फैसला कर दिया हैं। हालांकि इस मामले में राज्य सरकार (shivraj government) द्वारा कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं। जिसको लेकर यहां के अधिकारी कर्मचारी मध्य प्रदेश सरकार से नाराज है। कर्मचारी लगातार आंदोलन की राह पकड़ने की धमकी दे रहे हैं। कर्मचारियों की मांग हैं कि जल्द उनके इंक्रीमेंट (increment) और प्रमोशन (promotion) को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करें। इसके लिए शनिवार को कर्मचारी एक बार फिर से सड़क पर उतरे और प्रदेश भर के मंत्रियों को ज्ञापन सौंपने का कार्य किया।
इसी दौरान कर्मचारियों ने मंत्री (miinister), सांसद (MP) और विधायकों (MLA) को चेतावनी दी है कि यदि 30 जुलाई तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस संबंध में उन्होंने लोक सेवा प्रबंधन विभाग के मंत्री अरविंद भदौरिया (arvind bhadauria) को भी ज्ञापन सौंपा है। ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश में 43 संगठन चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। लगातार DA वृद्धि, इंक्रीमेंट और प्रमोशन को लेकर कर्मचारियों द्वारा मांग की जा रही है। अरविंद भदौरिया को ज्ञापन सौंपते हुए कर्मचारियों ने जल्द समस्या का निराकरण करने की बात कही है।
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मामले में कर्मचारियों का कहना है कि 29 जुलाई को प्रदेशभर के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर जाएंगे और ऑफिसों में Lockdown की स्थिति हो जाएगी लेकिन बावजूद इसके अगर सरकार द्वारा मांगों का निराकरण नहीं किया जाता है तो 30 जुलाई से कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। मंत्री भदौरिया ने कर्मचारियों को मुख्यमंत्री से चर्चा करने का आश्वासन दिया है।
ज्ञात हो कि कर्मचारी 1 जुलाई 2020 से 1 जुलाई 2021 तक की वेतन वृद्धि का लाभ तत्काल दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने DA में 5% की सरकार द्वारा स्थगित की गई वृद्धि के भुगतान की बात कही है। अधिकारी का कहना है कि उन्हें प्रमोशन दिया जाए।
सरकारी कर्मचारियों की प्रमुख मांगें-
- 1 जुलाई 2020 और 1 जुलाई 2021 को देय वेतन वृद्धि एरियर सहित तत्काल दी जाए।
- महंगाई भत्ते में केंद्र समान के अनुरूप वृद्धि की जाए।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा और कोषालय सेवा की तरह मंत्रालय कर्मचारियों को भी हर 8 साल में उच्च पद पर क्रमोन्नति देने संबंधी प्रावधान किए जाएं।
- मुख्यमंत्री कर्मचारी बीमा योजना को तत्काल लागू किया जाए।
- सरकारी सेवा में सीधी भर्ती से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी पर नियुक्त कर्मचारियों के लिए परिवीक्षा अवधि में स्टाइपेंड के रूप में वेतनमान के न्यूनतम का प्रथम वर्ष में 70 फीसदी,
- दूसरे वर्ष में 80 फीसदी और तीसरे वर्ष में 90 फीसदी दिये जाने संबंधी व्यवस्था को खत्म कर पहले की तरह नियुक्ति पर पूर्ण वेतनमान दिए जाने
- 3 साल की परिवीक्षा अवधि को संशोधित कर पहले की तरह 2 वर्ष किया जाए।