सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, रिटायरमेंट एज वृद्धि पर ताजा अपडेट, जानें लाभ मिलेगा या नहीं?

Pooja Khodani
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आगामी चुनावों से पहले मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों की रिटायरमेंट एज बढ़ाने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। एक तरफ  राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 करने की मांग की है, वही दूसरी तरफ तृतीय कर्मचारी संघ और युवाओं ने इसका विरोध किया है।  मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो प्रदेश में कर्मचारियों की उम्र  (MP Government Employees Retirement Age) बढ़ाने को लेकर विचार किया जा सकता है,हालांकि सरकार की तरफ से कोई अधिकारिक पुष्टि या बयान सामने नहीं आया है।

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दरअसल, हाल ही में मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति (MP State Employees Welfare Committee) के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को रिटायरमेंट एज 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष किये जाने की मांग को लेकर एक पत्र लिखा था, जिसमें विभिन्न कर्मचारी संगठनों के पत्रों में की गई मांग का हवाला देते हुए कहा था कि शासकीय विभागों में लगातार अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी होती जा रही है जिससे कार्य प्रभावित हो रहा है। इसलिए रिटायरमेंट एज बढाकर 62 से 65 वर्ष कर देनी चाहिए।

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रमेश चंद्र शर्मा ने आगे लिखा कि पिछले वर्षों से नई नियुक्तियां नहीं हुई और हजारों पद रिक्त है और हर महीने सैकड़ों की संख्या में अधिकारी कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में शासकीय योजनाओं पर असर पड़ेगा और आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों का काम भी प्रभावित होगा।पत्र में चिकित्सा शिक्षा विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों की रिटायरमेंट एज 65 वर्ष होने का जिक्र करते हुए अनुरोध किया कि नई भर्ती होने तक और शासकीय विभागों में खाली पड़े पदों की देखते हुए शासकीय कर्मचारियों – अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 65 वर्ष की जाये।

इन कारणों से प्रस्तावों पर हो सकता है विचार

  • मध्य प्रदेश में पिछले कई सालों से नई भर्तियां बंद है, MPPSC और MPPEB द्वारा कई भर्तियां निकाली गई है, लेकिन अब तक परीक्षाएं अधर में लटकी हुई है, ऐसे में बेरोजगारी तेजी से बढ रही है।इसको आधार मानते हुए रिटायरमेंट एज पर विचार हो सकता है।
  • अगले सालों में बड़े पैमाने पर कर्मचारी सेवानिवृत्त (Retirement) भी होने वाले हैं। वही 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव होने है, ऐसे में कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या के बिना चुनाव होना राज्य सरकार के लिए बेहद कठिन साबित हो सकता है।इसका उदाहरण हाल ही में हुए निकाय चुनावों में देखने को मिला था।
  • आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में साढ़े सात लाख कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन इस समय ये संख्या सिर्फ सवा चार लाख ही बची है, इनमें से भी अगले तीन साल में ढाई लाख कर्मचारी रिटायरमेंट होने वाले है।हालांकि सरकार की तरफ से रिटायरमेंट एज बढ़ाने को लेकर कोई बयान या संकेत नहीं दिए गए है।
  • बीते दिनों इंदौर में रोजगार मेले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह (CM Shivraj Singh) ने प्रदेश से बेरोजगारी दूर करने के ढेरों वादे किए थे और कहा था कि सबको नौकरियां नहीं दे सकते, इसलिए रोजगार के लिए सरकार लोन दे रही है। अप्रैल से अगस्त तक करीब दस लाख युवाओं को लोन दिया जा चुका है। वही हर महीने 1 लाख लोगों को नौकरियां देने का भी वादा किया है, जो कि एक विचार का विषय है।
  • अगर कर्मचारी रिटायर होते है तो शिवराज सरकार को तीन साल में 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का भुगतान पेंशन ग्रेच्युटी के तौर पर करना होगा। चुंकी राज्य सरकार पर कर्ज बढ़ा हुआ है और बीते महीनों में कई बार कर्ज भी लिया जा चुका है, ऐसे में कर्ज में डूबी सरकार के लिए ये कदम उठाना मुश्किल होगा, ऐसे में सरकार इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है।

तृतीय कर्मचारी संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी

वही रिटायरमेंट एज (Retirement Age) में वृद्धि की चर्चाओं के बाद तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने इसका विरोध किया है। संघ के भोपाल जिला अध्यक्ष मोहन अय्यर ने हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखा था, यदि कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु बढ़ती है तो सरकार पर भी आर्थिक बोझ बढ़ेगा क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों को बढे हुए वेतन के हिसाब से भुगतान करना होगा जबकि नई भर्ती काम वेतन पर होगी। यदि सरकार ने रिटायरमेंट एज को बढ़ाया तो तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ आंदोलन करने पर विवश होगा।

युवाओं का भी विरोध

इधर राज्य में कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र को 65 किए जाने की चर्चा के बाद युवाओं में भी गुस्सा फूटने लगा है। इंदौर में पीएससी मुख्यालय पर सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन करने वाले और गैर राजनीतिक संगठन बताने वाले नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) ने 30 अगस्त से इंटरनेट मीडिया पर राज्य सरकार की घोषणाओं के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। एनईवाययू ने दो हैशटैग रिटायरमेंट उम्र 58 करो और संविदा भर्ती बंद करो के साथ सरकार की घोषणाओं के खिलाफ संदेश प्रसारित करना शुरू किया है।

दो बार बढ़ चुकी है रिटायरमेंट उम्र

आपको बता दें कि जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 1998 में कर्मचारियों – अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 की थी उसके बाद 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रिटायरमेंट उम्र बढाकर 60 वर्ष से वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की थी। अब इसे 65 वर्ष करने की मांग की जा रही है।अगर इसे बढाया जाता है तो लाखों कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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