भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में शिक्षकों की क्रमोन्नति (MP Teachers Promotion) पर बड़ी खबर सामने आई है। एक तरफ जहां हाई कोर्ट शिक्षक (High court) संवर्ग को क्रमोन्नति और एरियर (arrears) का लाभ देने के आदेश जारी किए गए थे। वहीं दूसरी तरफ अब तक शिक्षकों को क्रमोन्नति का लाभ नहीं मिला है। इतना ही नहीं अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के जिला अध्यक्ष का कहना है कि नवीन शिक्षक संवर्ग की क्रमोन्नति के लाभ तक छीन लिए गए हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश में आदेश के तहत 1 जुलाई 2018 और उसके बाद 12 वर्ष पूरे करने वाले नवीन शिक्षकों को द्वारा क्रमोन्नति आदेश जारी कर दिए गए थे। जिसके बाद ऐसे कर्मचारी शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान (promotion pay scale) का लाभ भी मिलने लगा था। हालांकि 8 मार्च 2021 को लोक शिक्षण आयुक्त द्वारा एक आदेश जारी किया गया। जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग (GAD, MP) द्वारा आदेश प्राप्त नहीं होने के कारण जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) द्वारा जारी किए गए क्रमोन्नति आदेश को स्थगित कर दिया गया।
इतना ही नहीं 3 वर्ष तक नवीन शिक्षक संवर्ग को दिए गए क्रमोन्नति वेतनमान की अतिरिक्त राशि भी शिक्षकों से वसूली जाने लगी। इस मामले में मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र दिया गया। जिसमें नवीन शिक्षक संवर्ग के सभी कर्मचारियों को पूर्व आदेश के तहत क्रमोन्नति का लाभ देने की मांग की गई है। मांग पत्र में कहा गया है कि शिक्षकों को दी गई। क्रमोन्नति के लाभ की वसूली भी ना की जाए।
बता दें कि सीएम कार्यालय में पहुंचे पत्र में कहा गया कि लोक शिक्षण कार्यालय के कारण DDA द्वारा इन शिक्षकों का वेतन पुनः कम कर दिया गया है। इतना ही नहीं बढ़े हुए वेतन की रिकवरी भी शुरू कर दी गई है। जिससे शिक्षक संवर्ग को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके साथ ही शिक्षकों की मांग है कि 1 जुलाई 2018 और उसके बाद 12 वर्ष पूरे करने वाले नवीन शिक्षक संवर्ग को क्रमोन्नति के आदेश तत्काल रूप से जारी किए जाएं और किसी भी शिक्षक से अतिरिक्त वसूली नहीं की जाए।
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा जिला अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का कहना है कि 27 जुलाई 2019 के आदेश के तहत मध्यप्रदेश में कार्यरत सभी अध्यापक संवर्ग को स्कूल शिक्षा विभाग के नवीन शिक्षक संवर्ग में नियुक्त किया गया। जिसमें 12 वर्ष पूरे होने के बाद उन्हें क्रमोन्नति हेतु अध्यापक संवर्ग उनके द्वारा दी गई सेवा अवधि गणना का प्रावधान था। बावजूद इसके शिक्षकों के आदेश जारी कर उन्हें निरस्त किया जाना बेहद निराशाजनक है।