भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में जहां एक लाख से अधिक पदों पर भर्ती (MP New Recruitment) की तैयारी शुरू कर दी गई है। वहीं कुछ कर्मचारियों (Employees) को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल प्रदेश के 45000 स्थाई कर्मियों को नियमित (regular employees) नहीं किया जा रहा है। जिसको लेकर कर्मचारियों में नाराजगी देखी जा रही है। आ रही जानकारी के मुताबिक जिन कर्मचारियों को स्थाई कर्मचारी का दर्जा मिला है। उनको नियमित नहीं किया जा रहा है।
इससे पहले नई भर्ती आयोजित की जाएगी जबकि 45000 के नियमितीकरण आदेश का इंतजार कर रहे हैं। मामले में मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि प्रदेश में 45000 से ज्यादा स्थाई कर्मचारी को नियमित किया जाना है इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इस पर प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है।
सीएम को ज्ञापन सौंपते हुए मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मांग की है कि विभागों में रिक्त पदों पर सबसे पहले अस्थाई कर्मियों को नियमित करने की प्रक्रिया करने के साथ ही अनुकंपा नियुक्ति प्रदान किया जाए और उन्हें महंगाई भत्ते का लाभ दिया जाए। बता दें कि 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने खाली पदों पर स्थाई कर्मचारियों को नियमित करने या नियमित वेतनमान देने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद कई विभागों में 7000 से ज्यादा कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया को पूरा किया गया था लेकिन एक बार फिर से प्रक्रिया को रोक दिया गया है।
इससे पहले नियमित कर्मचारियों की भर्ती पर प्रतिबंध होने के कारण दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई थी। 2016 में उन्हें स्थाई कर्मी घोषित किया गया लेकिन इन्हें अन्य कर्मचारी की तरह महंगाई भत्ते आदि का लाभ नहीं दिया गया। जिस पर कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि रिक्त स्थानों पर योग्यता अनुसार कर्मचारियों को नियमित किया जाए या फिर उन्हें नियमित वेतनमान का लाभ दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार विभागों में कर्मचारियों को नियमित करने की कार्रवाई शुरू हुई थी। जिसे फिर से रोक दिया गया था।