भोपाल-हरप्रीत रीन। ‘मध्यप्रदेश में हर चार दिन में IAS के ट्रांसफर के लिये बैठक।’ जी हां हम यह नहीं कह रहे हैं खुद DoPT को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए आंकड़े कह रहे हैं। प्रदेश के युवा IAS अधिकारी लोकेश जांगिड़ (lokesh jangid) ने अपने ट्वीट के माध्यम से इस पत्र का हवाला देते हुए यह जानकारी दी है।
9 जुलाई 2021 को मध्यप्रदेश के कार्मिक विभाग की उप सचिव अर्चना सोलंकी ने भारत सरकार के कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के सचिव को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में लिखा गया है कि “मुझे इस विषय में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के पालन में भारत सरकार कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 19-04-2016 के संदर्भ में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पदस्थापना स्थानांतरण के संबंध में सिविल सेवा बोर्ड की अनुशंसा पर किए गए स्थानांतरण पदस्थापना की जानकारी 1 जनवरी 2020 से 31-12-2020 तक निर्धारित प्रपत्र में संलग्न प्रेषित है।” उसके बाद 2020 में साल भर में किए गए तबादलों की जानकारी दी गई है।
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दरअसल सिविल सेवा बोर्ड के माध्यम से 2020 में 91 बार IAS अधिकारियों के स्थानांतरण को मंजूरी देने के लिए बैठक की गई। जिन्होंने अपना न्यूनतम कार्यकाल पूरा नहीं किया। यानी राज्य में हर चौथे दिन IAS अधिकारियों के तबादले के लिए सिविल सेवा बोर्ड की बैठक हुई। अपने ट्वीट में मध्य प्रदेश के युवा IAS अधिकारी लोकेश कुमार जांगिड़ ने पत्र का हवाला देते हुए यह खुलासा किया है। सिविल सेवा बोर्ड का नेतृत्व किसी राज्य का मुख्य सचिव करता है और इसके सदस्य के रूप में वरिष्ठ आईएएस सचिव होते हैं।
इसके अलावा राज्य सरकार में प्रमुख सचिव या सचिव कार्मिक विभाग जैसे सदस्य सचिव भी होते हैं। हालांकि खुद कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग यानी DoPT सिविल सेवा बोर्ड की स्थापना के लिए राज्यों को भेजे एक नोट में कह चुका है “किसी भी पद पर उचित कार्यकाल पूरा करने से पहले अधिकारियों के बार बार और मनमानी तबादले को हमेशा प्रशासन के घटते मानको का एक प्रमुख कारण माना जाता है।” इसके बावजूद 2020 में मध्य प्रदेश में बेधड़क IAS के तबादले किए गए।