Govardhan Puja: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाने वाला यह पर्व तिथियों के घट बढ़ जाने की वजह से 14 नवंबर यानि आज मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन पर्वत स्वरूप की पूजन अर्चन की जाती है और गाय की पूजन का भी विशेष महत्व माना गया है। देश के मथुरा, वृंदावन और पूरे बृज में यह उत्सव बहुत ही जोर-शोर से मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजन के अवसर पर विशेष पूजन अर्चन करने के साथ मंदिरों में अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो कार्तिक प्रतिपदा से लगाकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। चलिए आपको गोवर्धन पूजा की विधि, महत्व और अन्य खास बातों से रूबरू करवाते हैं।
गोवर्धन पूजा तिथि
गोवर्धन पूजन प्रतिपदा तिथि को किया जाता है जिसकी शुरुआत 13 तारीख को दोपहर 2:56 से हो चुकी है। तिथि का समापन 14 नवंबर को 2:36 पर हो जाएगा। उदया तिथि मानते हुए यह पर्व 14 तारीख को ही मनाया जाएगा।
पूजन विधि
- पूजन करने के लिए महिलाएं अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाती हैं। आप भी इसी तरह से एक आकृति तैयार कर लें।
- इसके बाद रोली, अक्षत, जल, दूध, पान, फूल, खीर, बताशे, केसर अर्पित कर दीपक जलाकर भगवान का पूजन करें।
- पूजन करने के बाद गोवर्धन रूपी श्रीकृष्ण की 7 परिक्रमा लगाएं और अपने परिवार को भी परिक्रमा लगाने को कहें।
- जो भक्त इस दिन विधि विधान से गोवर्धन पूजन करता है और गाय को गुड़ और चावल खिलाता है, भगवान श्री कृष्णा उससे प्रसन्न होते हैं।
- मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गाय का पूजन करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति करता है।
पूजन का महत्व
धार्मिक मान्यताओं में दिए गए उल्लेख के मुताबिक जो व्यक्ति भगवान गिरिराज की पूजन अर्चन करता है, उसे सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और वो सुख तथा सौभाग्य की प्राप्ति करता है। इस पूजा से उसके जीवन में आ रहे सभी कष्टों का निवारण होता है और श्री कृष्ण प्रसन्न होते हैं। भरपूर धन-धान्य, सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए इसका विशेष महत्व है।
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