कर्नाटक, डेस्क रिपोर्ट। दो बार मांड्या (मांड्या ) से सांसद (MP) चुने गए और कावेरी आंदोलन में सबसे आगे रहे पूर्व मंत्री मेडगौड़ा (former minister Madegowda) का लंबी बीमारी के बाद शनिवार को के.एम. डोड्डी के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। मांड्या से वह छह बार किरुगावलु के लिए विधायक (MLA) भी चुने गए। उन्होंने अपने छात्र दिनों के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था और कारावास में भी रहे थे। मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने गौड़ा के निधन पर शोक जताया। उन्होंने शोक संदेश में कहा कि गौड़ा ने गांधी की शिक्षाओं को जीवंत रखा और कावेरी नदी के आंदोलन में सबसे आगे रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें।
1928 में मांड्या जिले के गुरुदेवराहल्ली में जन्मे मेडगौड़ा ने मैसूर के महाराजा कॉलेज और बेंगलुरु के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से पढ़ाई की। वह 1989 में और फिर 1991 में मांड्या के लिए सांसद चुने गए और इससे पहले वे गुंडू राव सरकार में 1980 और 1983 के बीच वन मंत्री थे। मेडगौड़ा को तमिलनाडु के साथ विवाद में राज्य के किसानों के हितों की रक्षा के लिए कर्नाटक राज्य रायता संघ और अन्य समूहों के साथ कावेरी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक के रूप में मान्यता दी गई थी।
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उन्होंने कावेरी रायता हितरक्षा समिति का भी नेतृत्व किया, जो कावेरी मुद्दे पर आम हित के साथ अन्य सभी समूहों के लिए मांड्या में एक छत्र संगठन के रूप में उभरा। कर्नाटक गन्ना किसान संघ के कुरुबुर शांताकुमार ने कहा कि वह मूल्य आधारित राजनीति के लिए जाने जाने वाले अंतिम नेता थे। मांड्या के पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने भारती एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना की। जिसके तहत लगभग 30 संस्थान हैं।
पारिवारिक सूत्रों ने कहा कि पूर्व मंत्री के पार्थिव शरीर को मांड्या स्थित उनके घर ले जाया जाएगा ताकि रविवार को अंतिम संस्कार के लिए भारतीनगर ले जाने से पहले जनता को अंतिम श्रद्धांजलि दी जा सके। प्रमुख राजनीतिक नेताओं, किसान संगठनों और अन्य लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया हैं।