भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कांग्रेस (congress) में लगातार गुट से अलग होकर नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे और पार्टी के तौर तरीके का विरोध कर रहे G23 के तथाकथित नेताओं पर अब मध्यप्रदेश (MP) के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव (Arun yadav) ने करारा हमला बोला है। आज एक के बाद एक ट्वीट (tweet) करते हुए अरुण यादव ने जी-23 के नेताओं को आड़े हाथ लिया है।
Arun Yadav ने कहा कि संकट के वक्त राहुल गांधी (rahul gandhii) और प्रियंका गांधी (priyanka gandhi) मैदान में नजर आते हैं। G23 सिर्फ मीडिया ट्विटर के जरिए पार्टी समूह पर हमला करते हैं जबकि हकीकत यह है कि जमीन पर कोई भी नेता दिखाई नहीं देते। इतना ही नहीं गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले को जवाब देते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री अरुण यादव ने कहा कि जो गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं, उन्हें आंख खोल कर देखना चाहिए कि हाथरस हो या लखीमपुर खीरी की लड़ाई, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ही नजर आए।
इतना ही नहीं अरुण यादव ने कहा कि प्रियंका गांधी सहित किसान के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए 3 दिन तक उत्तर प्रदेश सरकार की कैद में रही हैं और जिस तरह से राहुल और प्रियंका हाथरस-लखीमपुर खीरी की लड़ाई लड़ रहे हैं, उन सब के लिए करारा तमाचा है जो बोलते हैं कि गांधी परिवार ही कांग्रेस का नेतृत्व आखिर क्यों करें।
प्रियंका जी शहीद किसानों के आरोपियों को सज़ा दिलाने के लिए 3 दिन तक उत्तरप्रदेश सरकार की कैद में रही और जिस तरह से राहुल जी- प्रियंका जी ने हाथरस – लखीमपुर खीरी की लड़ाई लड़ी है, यह उन सबके लिए करारा तमाचा है जो बोलते है कि गांधी परिवार ही कांग्रेस का नेतृत्व क्यों करे ?
— Arun Subhash Yadav (@MPArunYadav) October 7, 2021
ओर हाँ ये किसानो कि सम्मान मान कि लिए युद्ध था तो जिन्हें राहुल जी प्रियंका जी के नेतृत्व से दिक़्क़त थी वो इस रणभूमि में कहाँ है ?@INCIndia @INCMP @RahulGandhi @priyankagandhi
— Arun Subhash Yadav (@MPArunYadav) October 7, 2021
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तथाकथित G-23 समूह के नेताओं ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में हिरासत में लिए जाने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पक्ष में रैली की। प्रियंका गांधी रविवार को एक किसान विरोध के दौरान हिंसा में मारे गए लोगों के परिवारों से मिलने लखीमपुर खीरी जा रही थीं, जब उन्हें नजरबंद कर दिया गया। बता दें कि जिन्होंने G-23 समूह, उन्हीं नेताओं का समूह है, पिछले साल कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक परिवर्तन की मांग की थी।
समूह के नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल ने उत्तर प्रदेश में अराजकता को आदर्श बताते हुए नजरबंदी को अवैध बताया। उन्होंने कहा कि एक धारणा है कि “ऐसी स्थितियों में राज्य में व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन गारंटी है”। “जिम्मेदारों पर मुकदमा चलाने के बजाय, आप न्याय चाहने वालों को हिरासत में लेते हैं।” कांग्रेस में खुले संवाद की मांग करने के बाद पिछले हफ्ते सिब्बल के घर में तोड़फोड़ की गई थी. बर्बरता ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की आलोचना की।
एक बयान में, आनंद शर्मा ने प्रियंका गांधी की नजरबंदी और “दमनकारी मैनहैंडलिंग” की निंदा की। “ऐसी दमनकारी कार्रवाइयां किसानों की आवाज को दबा नहीं सकतीं और न्याय की मांग कर सकती हैं…न्याय की जीत होनी चाहिए।” पिछले साल सोनिया गांधी को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल गुलाम नबी आजाद ने एक ट्वीट में कहा मैं श्रीमती प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाने के रास्ते में रोककर यूपी (उत्तर प्रदेश) पुलिस की सख्ती की कड़ी निंदा करता हूं। मारे गए किसानों (किसानों) के परिवार के सदस्यों के प्रति संवेदना व्यक्त करें। जिस घटना में किसान मारे गए, उसके पीछे की सच्चाई का पता लगाने के लिए न्यायिक जांच होनी चाहिए।