भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश शिक्षकों (MP Teachers) के लिए अच्छी खबर है। दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय (Directorate of Public Instruction) की तरफ से आदेश जारी किया गया। जिसमें प्राचार्य को नवीन आदेश दिए गए हैं। इस आदेश के मुताबिक प्रदेश के सभी शिक्षकों को टेबलेट (tablet) उपलब्ध कराए जाने के साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) को इस मामले की जांच करने और व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।
दरअसल लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा सभी सरकारी हाई स्कूल-हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य को आदेश जारी किया गया। जारी किए गए इस आदेश में डीपीआई कमिश्नर अभय वर्मा ने कहा है कि 10 जून को दिशा निर्देश जारी किए गए थे। जिसमें प्रदेश के सभी शासकीय हाई स्कूल- हायर सेकेंडरी स्कूल के विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कंप्यूटर लैब, इंटरएक्टिव पैनल, स्मार्ट क्लास और अन्य उपकरण का किस प्रकार उपयोग करना है। इसके दिशा निर्देश दिए गए थे। वही द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि उन्हें जानकारी मिली है कि स्कूलों में अबतक आईसीटी उपकरण का उपयोग नहीं किया जा रहा है।
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इतना ही नहीं डीपीआई कमिश्नर ने अपनी जारी आदेश में कहा है कि शिक्षकों को अबतक टेबलेट उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं। जिसके बाद आदेश जारी करते हुए कहा गया है कि प्राचार्य, प्रभारी प्राचार्य सुनिश्चित करेंगे कि पूर्व में जारी गाइडलाइन के अनुसार शिक्षकों को टेबलेट का आवंटन किया जाए। और इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। टेबलेट का उपयोग नियमित रूप से इसकी जांच अनिवार्य होगी।
डीपीआई की तरफ से जारी आदेश में कहा गया यदि किसी स्कूल में उपकरण बंद पाए जाते हैं और कक्षा में आईसीटी उपकरण का उपयोग नहीं होने की जानकारी सामने आती है तो ऐसे स्कूलों के प्राचार्य के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही DEO को निर्देश दिए गए हैं कि आईटी सेल के कोऑर्डिनेटर और असिस्टेंट कोऑर्डिनेटर द्वारा सभी स्कूलों में आईसीटी उपकरण की मॉनिटरिंग की जाए।
DPI कमिश्नर के आदेश के बाद अब जल्द ही सभी हाई स्कूल और हाई सेकेंडरी स्कूलों के शिक्षकों को टेबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे। वहीं स्कूलों में इंटरनेट के माध्यम से शिक्षक छात्रों को मल्टीमीडिया, स्मार्ट टीवी, स्मार्ट क्लासेस और इंटरएक्टिव पैनल सहित कंप्यूटर लैब में इसके उपयोग और इसकी बहुमूल्य जानकारी प्रेषित करेंगे। प्रतिदिन कक्षा में टेबलेट के माध्यम से छात्रों को बेसिक शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। यह कार्य सुनिश्चित करना प्राचार्य का होगा जबकि DEO समय-समय पर स्कूलों में जाकर इस बात की सत्यता का परीक्षण करेंगे।