कर्मचारियों के समान वेतनमान पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, जाने नवीन अपडेट, इस तरह मिलेगा लाभ

Kashish Trivedi
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कश्मीर, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (High court) ने एक बार फिर से कर्मचारियों (Employees) को बढ़ी जाती है। दरअसल हाई कोर्ट (Higgh court) ने स्पष्ट कर दिया है कि उचित सहित निम्न पदों (following positions) पर काम करने वाले कर्मचारियों के वेतनमान (pay scale) समान नहीं हो सकते हैं। साथ ही याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य शत्रुता पूर्ण भेदभाव में लिप्त नहीं हो सकता और सरकारी और अर्ध सरकारी संगठनों के विभिन्न पदों के लिए वेतन मान समान नहीं होनी चाहिए।

दरअसल आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कश्मीर विश्वविद्यालय के जेरोक्स ऑपरेटर और जीएमसी श्रीनगर जम्मू और स्क्रीन श्रीनगर में तैनात उनके समकक्ष के वेतन विसंगति को दूर नहीं किया जा सकता। दलील पेश करने उतरे वकील से HC ने यह स्पष्ट करते हुए कहा कि न्यायालय सरकारी या अर्ध-सरकारी संगठनों में विभिन्न पदों के लिए वेतनमान के निर्धारण के क्षेत्र में प्रवेश नहीं करते हैं।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के वर्ग के प्रति राज्य शत्रुतापूर्ण भेदभाव में लिप्त नहीं हो सकता है।यह टिप्पणी कश्मीर विश्वविद्यालय बनाम कश्मीर विश्वविद्यालय के जेरोक्स ऑपरेटर फैयाज अहमद भट के मामले में न्यायमूर्ति संजीव कुमार की ओर से आई है।

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प्रतिवादी विश्वविद्यालय द्वारा कश्मीर विश्वविद्यालय के जेरोक्स ऑपरेटरों और जीएमसी श्रीनगर/जम्मू और स्किम्स श्रीनगर में तैनात उनके समकक्षों के बीच वेतन विसंगति को दूर करने में विफल रहने के बाद याचिकाकर्ता अपनी मांग के लिए उच्च न्यायालय में उतरे थे।जिसमें एडवोकेट शाकिर हकानी द्वारा केस की दलील दी गई।

अदालत में उतरने से पहले, भट और उनके जूनियर्स (असिस्टेंट ज़ेरॉक्स ऑपरेटर्स) ने कई बार विश्वविद्यालय के सामने अपने वेतनमान को अन्य संस्थानों में काम करने वाले समकक्षों के साथ समानता लाने की मांग की थी। वेतनमानों के अपग्रेड के आदेश के बाद अभ्यावेदन का पालन किया गया।

विश्वविद्यालय ने कथित तौर पर वेतन विसंगतियों को दूर करने के आदेश पारित किए लेकिन व्यावहारिक रूप से ज़ेरॉक्स ऑपरेटर फ़याज़ अहमद और सहायक ज़ेरॉक्स ऑपरेटर (जूनियर) के वेतनमान को समान बना दिया गया। ज़ेरॉक्स ऑपरेटर और सहायक ज़ेरॉक्स ऑपरेटर के पदों के लिए वेतन ग्रेड के बराबर होने को लेकर याचिकाकर्ता ने फिर से विश्वविद्यालय के समक्ष प्रतिनिधित्व किया था लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ है।


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