कोच्चि, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (High court) ने फिर से कर्मचारियों (employees) के लिए बड़ा फैसला दिया है। दरअसल हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि जब तक चालक-परिचालक जैसे कर्मचारियों का भुगतान (employees salary payment) नहीं हो जाता है तब तक आला अधिकारियों को वेतन (Salary) नहीं दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि यदि वर्ग 3 और 4 के कर्मचारियों के भुगतान से पहले उच्च अधिकारियों के वेतन का भुगतान होता है तो अदालत उच्च अधिकारियों के वेतन को रोकने पर भी विचार कर सकती है।
अदालत ने कहा कि निगम के उच्च अधिकारियों को वेतन का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है जबकि ड्राइवर, मैकेनिक और स्टोर कर्मचारियों जैसे कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया जा रहा है। निगम के अध्यक्ष, एक आईएएस अधिकारी, को सरकार द्वारा भुगतान किया जा रहा है और यदि वर्तमान वित्तीय स्थिति जारी रहती है तो अदालत को उनके वेतन को भी अवरुद्ध करने पर विचार करना पड़ सकता है।
केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) को बैंक ऋण सहित निगम की संपत्ति और देनदारियों के बारे में सूचित करने का निर्देश दिया। निजीकरण के बाद एयर इंडिया के टर्नअराउंड का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि वह बीमार उपयोगिता के कुशल संचालन को सुनिश्चित करने के तरीकों पर विचार करेगी।
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कुछ कर्मचारियों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए अदालत ने पुरानी बसों से क्लासरूम बनाने की योजना की भी आलोचना की और कहा कि संचालन सेवाओं के लिए बसों का उपयोग किया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि ऐसी कक्षाओं में बच्चों को कब तक पढ़ाया जा सकता है, उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के हित में ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं और वे बाद में निगम के लिए देनदारी बन जाते हैं।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि जानकारी प्रदान करते हुए, केएसआरटीसी को यह बताना चाहिए कि किस उद्देश्य से ऋण लिया गया था और उनका उपयोग कैसे किया गया था। इसका इरादा निगम को कुशल बनाने का है न कि जांच कराने का। इसके लिए कर्मचारियों को अपनी हड़ताल खत्म करनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि केएसआरटीसी कार्यकर्ताओं को निगम की लाभप्रदता के बारे में परेशान होने की जरूरत नहीं है और यह प्रबंधन की जिम्मेदारी है। कर्मचारियों को वेतन दिया जाना चाहिए और इसके लिए नियम को बदला जाना चाहिए।अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को केएसआरटीसी की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए और इसकी बढ़ती देनदारियों से निपटने का निर्णय लेना चाहिए। निगम के पास कई संपत्तियां हैं लेकिन इसकी देनदारियां चिंता का विषय हैं और सरकार को अपनी गर्दन बचाने की कोशिश करने के बजाय इसमें बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए।