भोपाल/सीहोर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (MP) में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) जहां आज शाम 4:00 बजे रीवा में किसान कल्याण योजना (CM Kisan) के तहत द्वारा किसानों को बड़ा तोहफा (farmers) देंगे। उससे पहले उन्होंने किसानों से नेचुरल फार्मिंग पर जोर देने की बात कही है। सीहोर में कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज ने किसानों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि 5 एकड़ भूमि पर खरीफ की फसल से मैं भी प्राकृतिक खेती शुरू करूँगा। इसके साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की है कि वह अपने खेत के आधे हिस्से में प्राकृतिक खेती शुरू करें। साथ ही उन्होंने नर्मदा को लेकर बड़ी घोषणा की है।
दरअसल सीएम शिवराज ने कहा कि गोहितः क्षेत्रगामी च, कालज्ञो बीज-तत्परः। वितन्द्रः सर्व शस्याढ्यः, कृषको न अवसीदति॥ अर्थात् जो गोधन का, पशुधन का हित जानता हो, मौसम-समय के बारे में जानता हो, बीज के बारे में जानकारी रखता हो, और आलस न करता हो, ऐसा किसान कभी परेशान नहीं हो सकता, गरीब नहीं हो सकता।
वहीँ सीएम शिवराज ने कहा कि मृदा के पोषक तत्वों को बचाना और धरा को स्वस्थ बनाए रखना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। मुझे बताते हुए प्रसन्नता है की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं। हम प्राकृतिक खेती के मामले में देशभर में नंबर वन है। प्राकृतिक खेती के संबंध में अब से कुछ ही देर में नसरुल्लागंज के किसानों से वीसी के माध्यम से जुडूंगा एवं हम कैसे इसे बढ़ावा देकर धरा को स्वस्थ बनाने में योगदान दे सकते हैं। इस विषय पर चर्चा करूंगा।
सीएम ने कहा मेरे किसान मित्रों प्राकृतिक खेती के जो लाभ है यह पूरी तरह से कुदरती खेती है। यह भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाती है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें पानी भी कम लगता है मेरे किसान मित्रों प्राकृतिक खेती के जो लाभ है। यह पूरी तरह से कुदरती खेती है। यह भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ाती है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है। इसमें पानी भी कम लगता है
सीएम ने कहा प्राकृतिक खेती से जो हम अन्न, सब्जियां, फल-फूल का उत्पादन करेंगे। उसका दाम भी हमें अच्छा मिलेगा। आज से प्रदेश के 17 जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ हुआ है।प्रदेश के सभी जिलों में प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेंगे। सीएम ने कहा हमने तय किया है कि जो किसान प्राकृतिक खेती करेगा, उसके पास यदि गाय नहीं है और वह गाय खरीदता है तो गाय के आहार के लिए हर महीने 900 रुपए दिया जाएगा।
प्राकृतिक खेती केवल कर्मकांड नहीं है, धरती को बचाने का अभियान भी है। नदियों को बचाने का अभियान है। इंसान की जिंदगी को बचाने का भी अभियान है। ये धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, जीव-जंतुओं के लिए भी है प्राकृतिक खेती से उत्पादन भी नहीं घटता। इससे फसलें, फल और सब्जियां पूरी तरह से दोष रहित और पौष्टिक तत्वों से भरपूर रहती हैं, स्वाद भी उनका अद्भुत और अलग होता है। इसलिए प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की खेती है
नर्मदा पर बोलते हुए सीएम ने कहा कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, कीट-पतंगे भी जीते हैं, पशु-पक्षी भी जीते हैं। अपने लिए जिए तो क्या जिए। जीता वास्तव में देश के लिए जीता है, समाज के लिए जीता है, किसी बड़े काम के लिए जीता है और ऐसा ही यशस्वी जीवन स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी ने जिया। मैं स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं। वो व्यक्ति नहीं, संस्था थे
स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी ने एक नहीं अनेकों कार्य किए। जिनमें से एक प्रमुख कार्य मां नर्मदा के प्रति उनका जो अनुराग था। लगातार उन्होंने परिक्रमा की।अमरकंटक से लेकर खंभात की खाड़ी तक वह गए।नर्मदा समग्र का गठन किया।एक नहीं,कई नदी उत्सव का मैं खुद साक्षी हूं। आज मैं स्वर्गीय अनिल माधव दवे जी के चरणों में इस संकल्प के साथ प्रणाम करता हूं कि अनिल जी आप जो काम अधूरे छोड़कर गए हैं। उसे पूरा करने में हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे
सीएम ने कहा हमारा सतपुड़ा, विंध्याचल ये दोनों नर्मदा जी के भाई हैं। इन पर बड़े-बड़े साल, सागौन, साज, घिरिया के पेड़ थे। नर्मदा जी के दोनों तटों पर खेत नहीं, जंगल थे पेड़ कभी किसान नहीं काटता था, लेकिन मैंने बचपन में देखा कि 1965 के आसपास जब मैकेनाइजेशन का जमाना आया। बड़े-बड़े चेन वाले ट्रैक्टरों ने परती जमीन तोड़कर पेड़ सहित उखाड़ देते थे। मैंने नर्मदा का विंध्वस अपनी आंखों से देखा। इसे किया किसने, हम सभी ने किया।
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सीएम शिवराज ने कहा खेती के लायक जमीन बनाते-बनाते नर्मदा जी के दोनों तटों के तरफ पेड़ लगभग-लगभग समाप्त हो गए। जब पेड़ नहीं रहेंगे, घास नहीं रहेंगे तो मिट्टी का कटाव होगा।अमरकंटक में भी नर्मदा मैया की धार सिकुड़ती जा रही है।हमने बाकी नदियों को भी बर्बाद करने का महापाप किया है। कई जगह हम जाते हैं तो लोग कहते हैं कि हैंडपंप में पानी नहीं है। पहले 30-40 फीट पर पानी निकल जाता था। अब हजार फीट पर भी पानी नहीं निकल रहा है। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। प्रकृति के साथ हमने विनाश की भी कहानी लिखी है।
सीएम ने कहा कि हमने कड़े फैसले किए हैं। अमरकंटक में किसी भी तरह के नए निर्माण कार्य नहीं होंगे। पुराने जितने भी निर्माण हैं, यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके सीवेज का पानी नर्मदा में नहीं मिलेगा। हम सीवेज प्लांट लगा भी रहे हैं नर्मदा जी या अन्य मध्यप्रदेश की नदियां ग्लेशियर से नहीं निकली है।वर्षा जल को बड़े-बड़े पेड़ अवशोषित करके रख लेते हैं। बूंद-बूंद पानी जड़ के माध्यम से नदी में जाता है। हमें धार को बचाना है तो नदी के तटों पर पेड़ लगाना होगा।इसलिए मैं हर रोज पौधा लगाता हूं।
सीएम ने कहा कि मैं आपसे सभी से अपील करता हूं कि साल में कम से कम एक दिन अपने जन्मदिन, सालगिरह, माता-पिता की पुण्यतिथि पर पौधा जरूर लगाएंगे।हम पौधा लगाएंगे तो धरती मां को बचाएंगे।हम जो पौधा लगाएंगे तो उसके लिए छोटी सी नर्सरी भी बनाएं। पौधे को भी तैयार करने का काम हम करेंगे मैं सभी किसान भाई-बहनों से अपील करता हूं कि आप नर्मदा जी के तटों पर प्राकृतिक खेती शुरू करें। पूरी जमीन पर नहीं, कुछ हिस्से में प्राकृतिक खेती करें। मैं खुद पांच एकड़ में प्राकृतिक खेती शुरू कर रहा हूं। इसमें लागत कम, उत्पादन ज्यादा है।