MP News: भारतीय गणना “परमाणु से कल्प तक का विचार”, यही है वैदिक घड़ी का आधार, आइए जानें क्या है इसका टाइम जोन, क्या क्या होगा इसमें समाहित

MP News: वैदिक घड़ी जिसे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थापित एक अनोखी घड़ी है। वैदिक घड़ी भारतीय गणना पर आधारित एक अनूठी घड़ी है। यह घड़ी न केवल समय बताती है बल्कि भारतीय संस्कृति और दर्शन के विभिन्न पहलुओं को भी दर्शाती है।

vedic ghadi

MP News: 29 फरवरी आज की यानी आज का दिन मध्य प्रदेश के लिए बेहद ही ऐतिहासिक होने वाला है। एक और जहां प्रधानमंत्री मोदी मध्य प्रदेश को करोड़ों रुपए की सौगात देने वाले हैं वहीं महाकाल की नगरी उज्जैन में सभ्यता के साथ आज आधुनिकता का संगम होने जा रहा है क्योंकि आज भारतीय कालगणना पर आधारित विश्व की पहली वैदिक घड़ी प्राचीन वेदशाला में स्थापित होने जा रही है।

इस वैदिक घड़ी में भारतीय पंचाग, विक्रम संवत, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, पर्व, त्यौहार, शुभ महूर्त, व्रत, नक्षत्र, जयंती, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, आकाशस्थ भी होंगे समाहित। इसमें न केवल हिंदू काल गणना बल्कि ग्रीनविच का समय भी एक साथ देखा जा सकेगा। आपको बता दें, इसका भूमि पूजन मोहन यादव ने नवंबर 2022 में किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे वर्चुअल लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 फरवरी यानी कि आज 85 फीट ऊंचे टावर पर लगाई गई 10×12 की विक्रमादित्य वैदिक घड़ी और घड़ी के डिजिटल ऐप का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे। इसके अलावा भूमि पूजन और लोकार्पण के माध्यम से उज्जैन जिले को लगभग 6265.969 करोड़ की लागत के विकास कार्यों की सौगात भी देंगे। आपको बता दें, जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 2022 में उच्च शिक्षा मंत्री थे तब उन्होंने 22 मार्च 2022 को वैदिक घड़ी के 85 फीट टावर की नींव रखी थी।

कैसा है घड़ी का स्वरूप

यह घड़ी 24 नहीं बल्कि 30 घंटे के प्रारूप में समय बताती है जो भारतीय काल गणना की पारंपरिक प्रणाली पर आधारित है। इस घड़ी के चार चेहरे हैं प्रत्येक दिशा में एक चेहरा है। प्रत्येक चेहरे को 30 भागों में विभाजित किया गया है जो 30 मुहूर्त का प्रतिनिधित्व करते हैं जो एक दिन बनाते हैं। घड़ी के चेहरे पर विभिन्न प्रतीकों और आकृतियों को उकेरा गया है जो भारतीय संस्कृति और दर्शन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

घड़ी की क्या-क्या विशेषताएं हैं

यह घड़ी भारतीय गणना प्रणाली पर आधारित है जो परमाणु से लेकर कल्प तक के समय को मापती है। यह कालचक्र की अवधारणा पर आधारित है जो ब्रह्मांड के निर्माण और विनाश के चक्र को दर्शाता है। इतना ही नहीं यह घड़ी चार युगों सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग को दर्शाती है। वैदिक घड़ी में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को दर्शाया जाता है। यह घड़ी हिंदू कैलेंडर के अनुसार तिथियों को दर्शाती है। इसके अलावा यह घड़ी विभिन्न हिंदू त्योहारों और पर्वों को भी दर्शाती है साथ ही साथ यह विभिन्न शुभ मुहूर्त को भी दर्शाती है।

जानें वैदिक घड़ी से जुड़ी अन्य खास बातें

लगाए गए हैं ग्राफिक्स : इस घड़ी में खास प्रकार के ग्राफिक्स भी लगाए गए हैं जिसमें आपको अयोध्या का राम मंदिर, कैलाश मानसरोवर, 12 ज्योतिर्लिंग, देश दुनिया के सूर्यास्त और सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण समेत कई तस्वीरें देखने को मिलेगी।

GPS से होगी जुड़ी: विक्रमादित्य वैदिक घड़ी जीपीएस और मोबाइल ऐप से जुड़ी होगी। इस घड़ी को लखनऊ के आरोह श्रीवास्तव ने तैयार किया है।


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भावना चौबे

भावना चौबे

इस रंगीन दुनिया में खबरों का अपना अलग ही रंग होता है। यह रंग इतना चमकदार होता है कि सभी की आंखें खोल देता है। यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कलम में बहुत ताकत होती है। इसी ताकत को बरकरार रखने के लिए मैं हर रोज पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं को समझती और सीखती हूं। मैंने श्री वैष्णव इंस्टिट्यूट ऑफ़ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन इंदौर से बीए स्नातक किया है। अपनी रुचि को आगे बढ़ाते हुए, मैं अब DAVV यूनिवर्सिटी में इसी विषय में स्नातकोत्तर कर रही हूं। पत्रकारिता का यह सफर अभी शुरू हुआ है, लेकिन मैं इसमें आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं।मुझे कंटेंट राइटिंग, कॉपी राइटिंग और वॉइस ओवर का अच्छा ज्ञान है। मुझे मनोरंजन, जीवनशैली और धर्म जैसे विषयों पर लिखना अच्छा लगता है। मेरा मानना है कि पत्रकारिता समाज का दर्पण है। यह समाज को सच दिखाने और लोगों को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। मैं अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करूंगी।

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