भोपाल, डेस्क रिपोर्ट।बीते दिनों में भाजपा (BJP) की बैठक में प्रदेश प्रभारी ने ऐसे सांसद (MP) और विधायक (MLA) की बोलती बंद कर दी है, जो लगातार पार्टी के क्रियाकलापों पर सवाल खड़े करते हैं। बैठक में प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव (P Muralidhar Rao) ने कहा कि चार-पांच बार भी सांसद और विधायक बनने के बाद अगर कोई नेता पार्टी से खुश नहीं है तो वह अयोग्य है। उसे नालायक की संज्ञा दी जानी चाहिए। ऐसे नहीं तो पार्टी पर ही आरोप लगाते हैं कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया गया है और साथ ही वह अपना गुस्सा पार्टी पर निकालते हैं।
राव गुरुवार को भोपाल के रविदास मंदिर में पार्टी के एससी सेल (SC Cell) पदाधिकारियों के साथ बैठक को संबोधित कर रहे थे। राव ने कहा कि अगर कोई तीन, चार या पांच बार सांसद या विधायक चुने जाने के बाद कहता है कि उसे पर्याप्त मौके नहीं मिले, तो उससे बड़ा अयोग्य (नालायक) कोई नहीं है। शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan) के नेतृत्व वाली सरकार में राज्य मंत्रिमंडल में जगह मिल रही है। उन्होंने कहा कि ये नेता अपना गुस्सा निकालने के लिए अपनी पार्टी को भी घेर लेते हैं।
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पिछले साल सिंधिया के वफादारों को राज्य मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद, कई पूर्व मंत्री कैबिनेट बर्थ से चूक गए थे। कई लोगों का मानना है कि भाजपा ने उपचुनाव से पहले असंतुष्टों को कड़ा संदेश दिया है, ताकि उन्हें व्यक्तिगत रंजिश के बावजूद एकजुट रहने के लिए कहा जा सके। इसके साथ ही राव ने उन नेताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया, जो मंत्रिमंडल और संगठन में जगह नहीं मिलने की वजह से नाराज हैं और लगातार पार्टी की गतिविधियों के लिए उन्हें कोसते रहते हैं।
राव ने कहा कि दलितों का सशक्तिकरण ही भविष्य के लिए भाजपा का एकमात्र एजेंडा है। उन्होंने कहा कि दलितों की शिक्षा और रोजगार से संबंधित अधूरे कार्य, यदि कोई हों, उन्हें अधूरा नहीं छोड़ा जाना चाहिए। कांग्रेस पर भारी पड़ते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि “सबसे पुरानी पार्टी” ने पंचायतों से संसद तक सरकार को संभाला था, लेकिन अब “विफल” पार्टी रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर देश में किसी पार्टी को दलितों की परवाह है तो वह भाजपा है। नेता ने दलित समुदाय के बुद्धिजीवियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से भी बात की।
इतना ही नहीं इससे पहले बीजेपी के पदाधिकारियों की बैठक लेते हुए प्रदेश प्रभारी ने पदाधिकारियों को सख्त हिदायत दी थी। राव ने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उन्हें पद घर बैठने से नहीं मिला है। सभी पदाधिकारियों को प्रभार वाले इलाकों में दौरे करने होंगे और जनता के बीच अपनी पैठ पठानी होगी।