भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (corona) की दूसरी लहर खत्म होने के साथ ही मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में बीजेपी (bjp) के भीतर सियासी गर्मी साफ दिखाई दे रही है। पिछले एक सप्ताह के दौरान प्रदेश की राजनीति (MP Politics) में दिग्गजों की आपसी मुलाकातों ने राजनीतिक पंडितों को विश्लेषण के नए आयाम दिए हैं। हालांकि संबंधित राजनेता इन्हें केवल सौजन्य मुलाकात बता रहे हैं।
सरकार मे नंबर दो का रुतबा रखने वाले प्रदेश के गृह व जेल मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा (narottam mishra) का चार इमली स्थित बी-6 बंगला एक बार फिर इन दिनों सियासत का दूसरा केंद्र बिंदु बन गया है। दो दिन पहले प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के निवास पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश के कद्दावर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय (kaiash vijayvargiya) ने बंद कमरे में नरोत्तम से लगभग एक घंटे तक मंत्रणा की।
बाहर निकल कर दोनों का वही चिर परिचित जवाब था कि यह एक सौजन्य मुलाकात थी और बंगाल के बारे में समीक्षा भी। लेकिन इस मुलाकात ने प्रदेश BJP में हलचल पैदा कर दी। दरअसल इसके पहले कैलाश विजयवर्गीय दो दिन के भोपाल प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivarj singh chauhan) और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा (VD Sharma) सहित सत्ता और संगठन के विभिन्न लोगों से मुलाकात कर चुके थे। उसके बाद वे नरोत्तम के बंगले पर पहुंचे और लंबे समय तक दोनों की गुफ्तगू हुई। बाहर निकल कर कैलाश ने इसे सामान्य मुलाकात तो कहा लेकिन साथ ही नरोत्तम को धाकङ नेता बता कर तारीफ भी कर गये।
इससे एक सप्ताह पहले नरोत्तम मिश्रा की प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के साथ भी लंबी मुलाकात हुई थी और इसका ब्योरा भी सामने नहीं आ पाया था कि आखिर दोनों के बीच लंबी बातचीत में क्या खास निकला। बुधवार की सुबह अचानक नरोत्तम मिश्रा के निवास पर बीजेपी के दिग्गज नेता, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके प्रभात झा ने पहुंचकर एक बार फिर सबको चौका दिया। लगभग एक घंटे तक हुई इस मुलाकात का भी ब्यौरा तो बाहर नहीं आया लेकिन नरोत्तम ने मीडिया से जरूर कहा कि यह एक रूटीन मुलाकात थी। उसके कोई मायने नहीं लगाये जाने चाहिए।
उधर कैलाश विजयवर्गीय दिल्ली में भी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल से मुलाकात चुके हैं। इन सबके बीच अंदर खाने की खबर यही है कि दमोह उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी के भीतर अच्छी खासी बेचैनी है और पार्टी का एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि यदि इसी तरह की हालत रही तो 2023 के विधानसभा मे सत्ता की वापसी की राह कठिन होगी।इसके साथ ही प्रदेश मे खंडवा लोकसभा उपचुनाव के साथ साथ तीन विधानसभा उपचुनाव भी जल्द होने है।
नगरीय निकाय चुनाव भी कोरोना खतम होने का इन्तजार कर रहे है।ऐसे मे हालात सुधारने की सख्त जरूरत महसूस की जा रही है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराने में नरोत्तम मिश्रा की भूमिका किसी से छुपी नहीं। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें संकटमोचक की उपाधि दे चुके हैं और यह कह चुके हैं कि सरकार के लिए नरोत्तम सचिन तेंदुलकर की भूमिका में रहते हैं। ऐसे में एक बार फिर नरोत्तम के बंगले का सियासी केंद्र बनना तमाम अटकलों को जन्म दे रहा है।