MP Politics: नरोत्तम से मिलने पहुंचे वीडी शर्मा, क्या है इन सियासी मुलाकातों के मायने!

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। नौतपा तो बीत गया लेकिन मध्य प्रदेश में बीजेपी (BJP) के अंदर राजनीतिक पारा सरगर्मी चढ़ता जा रहा है। शुक्रवार की सुबह प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (VD Sharma) मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) से मिलने उनके निवास पर पहुंचे। इन सब के बीच एक बार फिर प्रदेश में तमाम राजनीतिक अटकलें तेज हो गई है।

खजुराहो से सांसद (MP) और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा (Vishnu Dutt Sharma) ने शुक्रवार की सुबह मध्य प्रदेश के गृह एवं जेल मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा के बी 6 चार इमली के स्थित निवास पर बंद कमरे में उनसे लगभग एक घंटे बातचीत की। हालांकि दोनों के बीच क्या बातचीत हुई इसका खुलासा तो नहीं हुआ लेकिन दोनों ही नेताओं ने इसे सामान्य तौर पर की गई मुलाकात बताया। हालांकि हर मुलाकात अब मध्य प्रदेश में राजनीतिक पंडितों की धड़कने बढ़ा रही है।

दरअसल इन दिनों संघ प्रमुख दिल्ली प्रवास पर हैं और वे संघ के कुछ महत्वपूर्ण नेताओं के साथ लगातार विचार विमर्श कर रहे हैं। उधर दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (kailash vijayvargiya) ने गुरुवार को एक बार फिर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (narendra singh tomar) से मुलाकात की। वही भोपाल में सरकार के नंबर दो नरोत्तम मिश्रा के चार इमली स्थित निवास पर अब तक कैलाश विजयवर्गीय, विष्णु दत्त शर्मा और प्रभात झा  (prabhat jha) जैसे बीजेपी के प्रमुख नेता पिछले छह दिनो मे पहुच कर बातचीत कर चुके हैं।

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नरोत्तम ने कल बीजेपी के संगठन मंत्री सुहास भगत और सह संगठन मंत्री हितानंद से भी मुलाकात की थी। अब इन सारी मुलाकातों के एक ऐसे समय क्या मायने जब सब की प्राथमिकता कोरोना (corona) से निपटना है। तमाम मुलाकातों के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रदेश में जिस तरह से आने वाले विधानसभा व लोकसभा उपचुनाव (Assembly and Lok Sabha by-elections), नगरीय निकाय चुनाव (urban body elections) और 2023 के विधानसभा आम चुनावों को देखते हुए सरकार की कार्यशैली होनी चाहिए।

उसमें आमूलचूल सुधार की सख्त आवश्यकता है। कांग्रेस ने जिस तरह से बीजेपी को दमोह में करारी शिकस्त दी है उसे लेकर भी प्रदेश व केंद्रीय नेतृत्व के माथे पर बल है। इसके साथ ही कमलनाथ जिस तरह से सरकार पर लगातार हमले कर रहे हैं उन्हें देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व भी अब किसी तरह की ऐसी रिस्क लेना नहीं चाहता जो पश्चिम बंगाल की तरह अतिआत्मविश्वास से भरी हो और जिसके नतीजे शून्य हो। ऐसे में आने वाले समय में प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।


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