MP School: निजी स्कूल की मान्यता हो सकती है समाप्त, DEO ने जारी किए ये निर्देश

Pooja Khodani
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इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में निजी स्कूलों  पर फीस (MP School Fees) को लेकर शिकंजा कसने वाला है। स्कूल शिक्षा विभाग ने साफ कहा है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के निर्देश के अनुसार निजी स्कूल शिक्षण शुल्क की इन्ट्री पोर्टल पर करें अन्यथा मान्यता समाप्त की जावेगी।इसके अलावा डीईओ ने अनुपस्थित स्कूलों के संचालक को मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं कि जाए कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है।

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दरअसल, इंदौर संभाग के धार जिला शिक्षा अधिकारी महेन्द्र शर्मा के अध्यक्षता में शासकीय उत्कृष्ट उमावि धार में विकासखण्ड धार और तिरला एंव सरदारपुर के सभी अशासकीय विद्यालयों (Private School) की बैठक आयोजित कर प्राचार्यो और संचालकों को उनके द्वारा ली जा रही शिक्षण शुल्क की इंट्री पोर्टल पर करने  के लिए अंतिम तीन दिवस दिये गये है। इसके साथ ही छात्रवृत्ति (Scholarship) की मेपिंग एंव अपडेशन सत्र 2018-19, 2019-20 एवं 2020-21 के भी अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिये गये है।

धार जिला शिक्षा अधिकारी महेन्द्र शर्मा ने बताया कि आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के द्वारा यह स्पष्ट किया गया है सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश है कि निजी स्कूल द्वारा ली जाने वाली शिक्षण शुल्क की इंट्री अनिवार्य रूप से पोर्टल पर करे।  जिले के समस्त स्कूलों को समय सीमा में इंट्री करने के लिए पूर्व में भी निर्देशित किया गया। बताया गया कि जिले के 45% स्कूलों ने ही इंट्री की है। अतः उपस्थित एंव अनुपस्थित सभी स्कूलों को 3 दिवस में शत प्रतिशत कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिये हैं तथा अनुपस्थित स्कूलों के संचालक को मान्यता समाप्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं कि जाए कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है।

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बता दे कि मध्य प्रदेश (MP School) के करीब 17000 निजी स्कूलों अबतक फीस (fees) संबंधी जानकारी साइट पर अपलोड नहीं की है, अब तक सिर्फ 52 फ़ीसदी स्कूलोंं ने फीस संबंधी जानकारी राज्य शासन की साइट पर अपलोड की है, जो कहीं ना कहीं स्कूल शिक्षा विभाग (MP School Education Department) के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी उल्लंघन है, ऐसे में इन स्कूलों पर मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जा सकती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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