MP School: निजी स्कूल की मनमानी फीस वसूली पर कसा शिकंजा, राज्य शासन ने दिए यह निर्देश

Kashish Trivedi
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MP school Education department

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश में स्कूल (MP School) को खोलने पर सहमति बन गई है। प्रदेश में जल्द स्कूल को खोला (school re-open) जाएगा। स्कूल खोलने के साथ स्कूल की फीस वसूली को लेकर भी राज्य शासन ने बड़ा निर्देश दिया है। प्रदेश में निजी स्कूल (private school) की मनमानी फीस वसूली पर अब राज्य सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है दरअसल सुप्रीम कोर्ट (supreme court) और हाई कोर्ट (high court) के आदेश अनुसार ही अब निजी स्कूल फीस वसूली कर सकेंगे। राज्य शासन ने निजी स्कूलों को फीस वसूली सार्वजनिक करने के भी निर्देश दिए हैं।

राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के portal पर फीस वसूली सार्वजनिक करने के निर्देश जारी किए हैं। 3 सितंबर तक सभी MP Schoolको फीस मॉड्यूल को अनिवार्य रूप से अपलोड करना होगा। वही अपलोड किए गए निजी स्कूल के फीस विवरण में शिकायत होने पर छात्र जिला शिक्षा समिति के समक्ष आपत्ति भी दर्ज करा सकेंगे।

वही स्कूल फीस बढ़ोतरी के विषय में स्कूल संचालकों का कहना है कि पूरी फीस वसूली का आश्वासन दिया गया था। लेकिन शासन की तरफ से अभी तक कोई निर्देश नहीं दिया गया। वहीं हाईकोर्ट के निर्देश अनुसार जब तक महामारी रहेगी। तब तक ट्यूशन फीस ली जाएगी लेकिन सरकार बता नहीं रही महामारी खत्म हुई है अथवा नहीं। जिसके बाद स्कूल संचालकों ने पूरी फीस वसूली का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन कोर्ट जाने की तैयारी में है।

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राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद निजी स्कूलों MP School को फीस वसूली करने को कहा है। वहीं छात्र किसी प्रकार की त्रुटि होने पर जिला शिक्षा समिति के समक्ष शिकायत दर्ज करेंगे। जिसका निराकरण 4 सप्ताह के भीतर जिला समिति द्वारा किया जाएगा। बता दे कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के प्रांत अध्यक्ष ने निजी स्कूल की मनमानी फीस वसूली को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर हाईकोर्ट ने फीस वसूली की एक सीमा तय कर दी थी।

ज्ञात हो कि स्कूलों के ट्यूशन फीस मामले को लेकर जागृत पालक संघ, मध्य प्रदेश द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जहां कहा गया था कि निजी स्कूल (MP School) ट्यूशन फीस के नाम पर मनमानी कर रहे हैं। जिसके बाद SC की डबल बेंच ने अपना अंतिम आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार निजी स्कूल अपने विभिन्न वसूले जा रहे फीस की जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश को उपलब्ध कराएंगे। यह जानकारी स्कूलों से जिला शिक्षा समिति को उपलब्ध करानी होगी। जिसके बाद जिला शिक्षा समिति यह जानकारी मध्यप्रदेश शासन को उपलब्ध कराएगी।

वहीँ निर्णय लिया गया कि 1 सितंबर से 50% विद्यार्थियों की उपस्थिति में कक्षा 6वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू की जाएंगी। बैठक में कक्षा 6वीं से 12वीं के संबंध में विचार किया गया और प्रोटोकॉल के सख्त पालन के साथ कक्षाएँ प्रारंभ करने के बारे में सहमति हुई। इस दौरान अभिभावकों की सहमति और corona guideline का पालन करना अनिवार्य रहेगा। वहीं कक्षा 1 से 5 तक की कक्षाओं के बारे में सितंबर के पहले सप्ताह के बाद निर्णय लिया जाएगा।

इससे पहले जुलाई महीने में कहा गया था कि प्रदेश के अशासकीय विद्यालय शैक्षणिक सत्र 2021-22 में आगामी आदेश तक के लिए स्कूल की फीस (school fees) में कोई वृद्धि नहीं कर सकेंगे। इस मामले में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि प्रदेश के समस्त CBSE/ICSE, मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल और अन्य बोर्ड से संबंधित गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूल पर निर्देश समान रूप से लागू होंगे। इसके अलावा शैक्षणिक सत्र 2021 बैच के लिए यदि किसी अशासकीय स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि की जाती है तो ऐसी वृद्धि के द्वारा एकत्र की गई फीस को संबंधित छात्रों की आगामी भुगतान करने वाली फीस में समायोजित किया जाएगा।


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