भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) स्कूल शिक्षा (School Education) को सूचित करने के साथ ही शासकीय स्कूल (MP School) में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्ध इसके लिए कई तरह की योजनाएं लांच की गई है। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा उन योजनाओं पर लगातार काम के अपडेट (update) लिए जा रहे हैं। सरकारी स्कूल (MP School) को भी विभिन्न स्तरों पर निजी स्कूल के बराबर लाने की कवायद तेज हो गई है। शासकीय स्कूल में निजी स्कूल की तरह मूलभूत सुविधाएं मिलने के साथ ही इसका सबसे बड़ा फायदा छात्रों को होगा।
दरअसल बीते 2 सालों से कोरोना महामारी के प्रकोप की वजह से प्रदेश में संचालित कई योजनाएं अधर में अटक गई थी। जिसे नए वर्ष में पूरा किया जाएगा। वही शासकीय स्कूल में शिक्षा की व्यवस्था में लगातार हो रही सुधारों को देखते हुए कई अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला शासकीय स्कूल में करवा दिए हैं। आंकड़ों की माने तो सत्र 2021-22 में सरकारी और निजी स्कूलों में करीबन 1 करोड़ 38 लाख छात्रों ने प्रवेश लिया है। जिनमें शासकीय स्कूल में पहली से 8वीं तक में 65 लाख छात्रों के प्रवेश हुए हैं। जबकि 9वीं से 12वीं तक में 25 लाख छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया पूरी की गई।
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दिल्ली के शासकीय स्कूल की तर्ज पर ही प्रदेश में 350 सरकारी स्कूलों को सीएम राइस स्कूल के रूप में चयनित किया गया है। इन स्कूलों के अलावा प्रदेश के 9200 सरकारी स्कूलों को सीएम राइज स्कूल में बदला जाएगा। सीएम राइज स्कूल में परिवहन हो छात्रावास की व्यवस्था सहित खेल ग्राउंड की व्यवस्था होगी। साथ ही स्मार्ट कक्षाएं हर क्लास में शिक्षक उपस्थिति सहित भोजन कक्ष की व्यवस्था और पेयजल फर्नीचर व बिजली की व्यवस्था अनिवार्य की जाएगी।
इसके अलावा प्रदेश के 11 सरकारी स्कूलों में प्ले ग्रुप की कक्षाएं संचालित की जा रही है। शिक्षा की व्यवस्था को एक नया मोड़ देने के लिए पहली से आठवीं की बोर्ड परीक्षा फिर से आयोजित करने की तैयारी कर ली गई है। इससे परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम लागू किए जाने के साथ ही 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा अब नए पैटर्न पर लागू की गई है।
इतना ही नहीं मध्यप्रदेश में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ शारीरिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। खेलकूद सहित क्विज कंपटीशन आयोजित किए जा रहे। इसके अलावा NCC सहित अन्य गतिविधियों के आधार पर छात्रों के अंकों का आकलन अनिवार्य किया गया है। 10वीं-12वीं के बाद करियर को एक नई दिशा देने के लिए छात्रों की करियर काउंसलिंग शुरू की गई है। साथ ही प्रोफेशनल एग्जामिनेशन के लिए छात्रों को तैयारियां करवाई जा रही है।